Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth PratishthanPage 69
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. उन दिनों बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी के स्थापक पंडित मदनमोहन मालविया उदयपुर पधारे थे और राज्य के अतिथि बने थे। उस समय महाराणा ने मालविया जी से निवेदन किया कि महाराजश्री विजयनेमिसूरि एक मिलने लायक विद्वान संत है । इससे मालवियाजी महाराजश्री से मिलने उपाश्रय में पधारे । प्रथम मुलाकात में ही मालवियाजी बहुत प्रभावित हुए थे । उदयपुर में जितने दिन वे रूके उतने दिन प्रतिदिन महाराजश्री से मिलने आते थे और अनेक विषयों पर विचारविमर्श करते थे । वे महाराजश्री को गुरुजी कह कर संबोधित करते थे । तत्पश्चात महाराजश्री अहमदाबाद में थे उस दौरान मालवियाजी जब-जब अहमदाबाद आते वे अवश्य महाराजश्री से मिलने जाते थे । प्रो. आनंदशंकर ध्रुव की बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी के वाइस चान्सलर के रूप में नियुक्ति हुई । अतः वे तथा अन्य विद्वान भी मालवियाजी के साथ महाराजश्री से मिलने आते थे । महाराजश्री के अनुरोध से मालवियाजी को हेमचंद्राचार्य कृत 'योगशास्त्र' पढने की इच्छ हुई थी । उस ग्रंथ की एक हस्तप्रत महाराजश्री ने भंडार में से प्राप्तकर मालवियाजी को दे दी । उदयपुर का चातुर्मास पूर्ण होते ही महाराजश्री की निश्रा में उदयपुर से राणकपुर का संघ निकला था । महाराजश्री राणकपुर से विहार करते हुए जावाल पधारे । जावाल से महाराजश्री की निश्रा में सिद्धाचल जी की यात्रा का संघ निकला । जीरावला, आबु, कुंभारिया,Page Navigation
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