Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 67
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. साथ ही अहमदाबाद वापस आनेवाले थे किन्तु उदयपुर के संघ ने वहां आकर महाराजश्री को प्रार्थना की कि वे उदयपुर पधारे । अतः महाराजश्री को उदयपुर जाना पड़ा संघ धामधूम से अहमदाबाद वापस आया । उदयपुर में चातुर्मास : (सं. १९७६) महाराजश्री केसरियाजी से विहार करते हुए उदयपुर पधारे महाराजश्री के व्याख्यान में अनेक लोग आने लगे । श्रावकों में बहुत उल्लास और जागृति का वातावरण हो गया था इससे संघ ने महाराजश्री को चातुर्मास उदयपुर में ही करने का आग्रह किया । लोगों का उत्साह देखकर महाराजश्री ने इसके लिए संमति प्रकट की । चातुर्मास का स्थान निश्चित होने के बाद महाराजश्री ने आसपास के विस्तारों में विहार किया और चातुर्मास के लिए पुन: उदयपुर आ पहुँचे । उस समय ऊंझा की ओर से विहार करके मुनिश्री वल्लभ विजयजी (युगवीर आचार्य वल्लभसूरि) केसरियाजी तीर्थ की यात्रा के लिए ६'री' पालक संघ के साथ निकले थे । उदयपुर के विराम के दौरान महाराजश्री से उनकी प्रथम बार मुलाकात हुई । ये मुलाकात बहुत महत्व की बनी । शासन के उद्धार के लिए कैसे कैसे कार्य करने चाहिए इस संदर्भ में दोनों के बीच विचार-विनिमय हुआ । पू. वल्लभविजयजी ने महाराजश्री को सूचित किया कि जैन साधुओं में शिथिलाचार और मतभेद बढते जा रहे हैं । उन्हें दूर करने के लिए अहमदाबाद मे एक मुनि संमेलन बुलवाने की आवश्यकता है । महाराजश्री ने इस विचार को स्वीकार किया ।

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