Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth PratishthanPage 78
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. जमीन खरीदने के लिए पैसा देनेवाले श्रेष्ठी तो बहुत थे किन्तु गरासियों की अविभाज्य जमीन पाने का कार्य बहुत कठिन था । ऐसा कठिन कार्य भी बाहोश व्यक्तियों ने बुद्धि लडाकर पूर्ण किया और गरासिया भी प्रसन्न हुए । उचित मुहूर्त में खनन विधि, शिलारोपण इत्यादि हुआ और जिनमंदिर के निर्माण का कार्य आगे बढ़ने लगा । इस दौरान महाराजश्री ने महुवा के चातुर्मास के दौरान वहां श्री यशोवृद्धि जैन बालाश्रम की स्थापना के कार्यों को भी वेग दिया । - वि.सं. १९८७ का वर्ष ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व का था । तिर्थाधिराज सिद्धगिरि पर अंतिम जीर्णोद्धार हुए और आदिश्वर भगवान की प्रतिमा की प्रतिष्ठा हुए ४०० वर्ष पूर्ण होने पर यह ४०० वीं वर्षगांठ धामधूमपूर्वक मनाने के लिए अहमदाबाद के श्रेष्ठियों में चर्चा चल रही थी । अहमदाबाद के बहुत से मिलमालिक जैन थे और उत्सव के दिन मीलें बंद रखने का उन्होंने निर्णय लिया था । परन्तु उन दिनों सत्याग्रह का आंदोलन चल रहा था और गांधीजी सहित कुछ सत्याग्रही केद में थे । ये देखते हुए नवकारशी का भोजन समारंभ करने के बारे में दो भिन्न-भिन्न मत प्रवर्तमान थे । परन्तु महाराजश्री की सूझबूझ से मध्यस्थी करने पर विवाद टल गया था और नवकारशी अच्छी तरह हुई । उस दिन नगरशेठ के बंडे में भव्य स्नात्र-महोत्सव मनाया गया था । जिसमें हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे थे और विशाल रथयात्रा निकली थी। इसमें साधु साध्वीयों और श्रावक श्राविकाओं का विशाल समुदाय जुडा था ।Page Navigation
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