Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 75
________________ शासन सम्राट: जीवन परिचय. ब्रिटन तक ले जाकर प्री.वी. काउन्सिल में लड़ना चाहता है । इस बात की जानकारी होते ही वाइसरोय को भी ऐसा लगा कि यदि यह समस्या प्री.वी. काउन्सिल में जाय तो उससे उनकी प्रतिष्ठा को आँच आएगी । अतः इससे अच्छा है कोई समाधान हो जाय । पालीताणा के ठाकुर अंततः इस बात पर झुके कि वे मुंडकावेरा के स्थान पर निर्धारित रकम लेने के लिए तैयार है । इसके लिए सीमला में वाइसरोय ने पालीताणा के ठाकुर और पीढ़ी के आगेवानों की एक बैठक बुलवायी । मंत्रणा के अंत में ऐसा करार किया कि पैंतीस वर्ष तक पीढ़ी प्रतिवर्ष साठ हजार पालीताणा के ठाकुर को धर्मरक्षा के लिए दें । यह रकम बहुत अधिक थी। किन्तु ऐसा किए बिना मुक्ति न थी । अतः दो वर्ष के अंत में शत्रुंजय की यात्रा यात्रिकों के लिए किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत संत्रास के बिना प्रारंभ हुई । (देश को स्वतंत्रता मिली और देशी राज्यों का विलनीकरण हुआ तब यह कर सौराष्ट्र सरकार ने खत्म किया था) वि.सं. १९८२ का चातुर्मास पाटण में कर महाराज श्री अहमदाबाद पधारे । पाटण के शेठ नगीनदास करमचंद की भावना के अनुसार महाराजश्री की निश्रा में अहमदाबाद से कच्छ भद्रेश्वर यात्रा का संघ निकला। गांव-गांव में भव्य स्वागत होता । महाराजश्री धांगध्रा तक तथा संघ ने आगे प्रयाण किया । अहमदाबाद में नंदनविजयजी महाराज को आचार्य की पदवी प्रदान की गई । ७०

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