Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 68
________________ शासन सम्राट: जीवन परिचय. ६३ वि.सं. १९७६ में उदयपुर के चातुर्मास के दौरान महाराज श्री ने 'श्रीपन्नावणासूत्र' पर व्याख्यान देना शुरु किया । महाराजश्री के व्याख्यानों का प्रभाव इतना अधिक पड़ा कि उनकी तेजस्वी प्रतिभा और विद्वता तथा सचोट व्याख्यान शैली की बात फैलते हुए उदयपुर के महाराणा श्री फतेहसिंहजी के पास पहुंची । उन्होंने राजमंत्री श्री फतेहकरणजी को महाराजश्री के पास भेजा । फतेहकरणजी विद्वान थे और संस्कृत प्राकृत भाषा के अच्छे जानकार थे । वे महाराजश्री के व्याख्यान में प्रतिदिन आकर बैठने लगे । उन्हें महाराजश्री की असाधारण प्रतिभा का परिचय हुआ । उन्होंने महाराणा के समक्ष इतने मुक्त कंठ से महाराज श्रीकी प्रशंसाकी कि महाराणा को महाराज श्री से मिलने की इच्छा हुई । इसके लिए उन्होंने महाराज श्री को महल में पधारने की प्रार्थना की । किन्तु महाराज श्री ने कहलवाया कि कुछ महान पूर्वाचार्य राजमहल में गए के प्रमाण हैं किन्तु वे स्वयं एक सामान्य साधु है और राजमहल में जाने की उनकी इच्छा नहीं है । महाराणा ने महाराजश्री की बात को समझदारी पूर्वक स्वीकार किया । यद्ययि वे स्वयं उपाश्रय में आएँ ऐसी परिस्थिति न थी अतः उन्होंने अपने युवराज को महाराजश्री के पास भेजा । वे प्रतिदिन व्याख्यान में आकर बैठते । महाराणा ने महाराज श्री को कहलवाया कि राज्य के ग्रंथालयों से उन्हें जिस ग्रंथ की आवश्यकता हो वे फौरन प्राप्त करवाएगें । इतना ही नहीं अन्य किसी भी प्रकार की सहायता चाहिए तो उसे भी पूर्ण करेगें ।

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