Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 64
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. बात फैली थी । किन्तु इस स्थिति में शांति, सूझबूझ और निर्भयता से काम लेने की आवश्यकता थी । महाराजश्री की सूचना के अनुसार श्रावकगण व्यवहार करते थे । भैरवजीकी मूर्ति हटाने का यही उचित अवसर था, ये देखकर रात के समय भैरवजी की मूर्ति हटाकर निकट के उपाश्रय में उसके मूल स्थान पर स्थापित की गई । प्रतिष्ठा का महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण हुआ । अब दूसरे दिन द्वारोद्घाटन की विधि बाकी थी । प्रतिष्ठा की विधि पूर्ण होते ही बहुत से लोग अपने गांव वापस आए थे, फिरभी अभी सैंकडों लोग कापरडाजी मे रूके हुए थे । उस दिन शाम को समाचार आए कि पास एक गांव के चार सौ शस्त्रधारी जाट मंदिर पर आक्रमण करने वाले हैं और मंदिर का अधिकार लेना चाहते हैं । अचानक इस तरह से आक्रमण हो तो बहुत अधिक खतरा हो सकता है । महाराज श्री ने गढ़ के बाहर जो लोग तंबु में रह रहे थे उन्हें गढ के अंदर आ जाने को कहा । मुनीम पनालालजी को भी परिवार सहित गढ़ के अंदर बुलवा लिया गया । कुछ भक्तों ने महाराजश्री से अनुरोध किया कि जाट लोगों का दल आ पहुंचे उससे पहले हम आपश्री को और रक्षकों को बिलाडा गांव पहुंचा देना चाहते हैं । किन्तु महाराजश्री ने ये प्रस्ताव अस्वीकार करते हुए कहा 'मेरा जो होना होगा हो मुझे कोई भय नहीं है । कापरडाजी के तीर्थ की रक्षा के लिए मेरे प्राण जाऐंगे तो मुझे भी अफसोस नहीं होगा ।" . शाम को अंधेरा होने आया । इतने में लगभग ४०० हथियारधारी जाट लोग मांदिर पर चिल्लाते हुए आक्रमण के लिए आ महाराज

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