Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 55
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ५० अधिक रुकना हो तो भी यह आवश्यक है । महाराज श्री ने दोनों पक्षों के आगेवानों को क्रमशः एकांत में बुलवाकर संपूर्ण समस्या जान ली । तत्पश्चात वे प्रतिदिन व्याख्यान में अपना उपदेश इस तरह गूंथते कि दोनों पक्षोंके आगेवानों को लगा कि इस संघर्ष का समाधान लाना ही चाहिए । आठेक दिन में तो महाराज श्री की मध्यस्थी से संघ में समाधान हो गया और शांति स्थापित हो गई । उसके प्रतीक रूप दोनों पक्ष की ओर से साथ मिलकर स्वामी वात्सल्य रखा गया । फलोधी से संघ ने जैसलमेर की ओर प्रयाण किया । अब रण प्रदेश प्रारंभ होता था और बीच-बीच में पांच सौ-हजार की बस्ती वाले छोटे-छोटे गांव आते थे । इस विस्तार में पानी की बहुत तंगी रहती थी । संघ में जब वासणा नामक गांव में डेरा डाला । तब गांव के लोगों ने बहुत विरोध किया । लोगों का कहना था कि गरमी के दिन हैं । दो-तीन वर्षों में एकाद बार यहां बरसात होती है । संघ के इतने सारे लोग पानी का उपयोग करेंगे तो एक दिन में ही हमारे गांव का सब पानी खत्म हो जाएगा । गांव के लोगों के ऐसे विरोध के बीच कितना समय रूका जाय? ये एक प्रश्न हो गया था । किन्तु महाराज श्री ने सबको शांत रहने को कहा । इतने में जैसे कोई चमत्कारी घटना बनती हो ऐसे अचानक आकाश में बादल उमड आए । गरमी के उस दिन मूसलाधार बरसात हुई । गांव में इतना अधिक पानी आया कि ग्रामजनों ने कभी नहीं देखा था । इस घटना से उनका हृदय-परिवर्तन हुआ ।

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