Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth PratishthanPage 38
________________ शासन सम्राट: जीवन परिचय. ३३ इस समय ही राजकोट की कोर्ट का निर्णय आया । इसमें पेढ़ी का विजय हुआ । ठाकुर हार गए । जूते पहनकर धुम्रपान करते हुए पहाड़ी पर चढने पर उन्हें मना किया गया । तीर्थ की आशातना बंध करने का उन्हें हुक्म दिया गया । कोर्ट का आदेश मिलने पर ढाकर विवश हो गए । महाराजश्री की प्रेरणा और सुझबुझ से प्राप्त विजय का उत्सव गाँव के लोगों ने मनाया । महुवा में 'अष्टकजी' विषयक व्याख्यानों : I तत्पश्चात पालीताणा से विहार करके महाराज श्री महुवा पधारे उनके संसार पिताश्री लक्ष्मीचंदभाई अब वृद्ध हो गए थे । वे महाराज श्री के व्याख्यान में प्रतिदिन आते थे । महाराजश्री के व्याख्यान सुनकर लक्ष्मीचंदभाई का बहुत कुछ हृदय परिवर्तन हो गया । महाराज श्री ने जब दीक्षा ली थी, तब लक्ष्मीचंदभाई को बहुत नाराजगी थी, किन्तु अब महाराजश्री की विद्वता, अद्भूत व्याख्यान शैली और चुस्त संयम पालन देखकर अपने पुत्र के लिए गर्व का अनुभव करने लगे। उन्हें भी वैराग्य और ज्ञान का रंग लग गया था । वे उपाध्याय श्री यशोविजयजी के ग्रंथों का परिशीलन जीवन के पिछले वर्षों में नियमित करते रहे । चातुर्मास पूर्ण होते ही महाराज श्री ने प्रयाण किया । भोयणी तीर्थ की यात्रा करते हुए वे कलोल पधारे । वहां के देरासर के जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी अतः अहमदाबाद आकर उसके लिए उपदेश देने पर एक श्रेष्ठी ने उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी उठा ली ।Page Navigation
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