Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 36
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. विरोध प्रदर्शित करते हुए ठाकुर पर गांव-गांवसे तार आने लगे । किन्तु ठाकुर पर उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ । यह बात महाराजश्री नेमिविजयजी के पास आई तब उन्होंने शेठ आणंदजी कल्याणजी की पेढ़ी के होद्देदारों से कहा कि वे स्वयं जाकर ठाकुर को समझाए और न माने तो बाद में राजकोट की पोलिटिकल एजन्ट की कोर्ट में केस दाखिल कराऐं । शेठ आणंदजी कल्याणजी की पेढ़ी के होद्देदार ठाकुर को समझाने में निष्फळ गए अतः कोर्ट में केस दाखिल किया गया । इससे ठाकुर और उत्तेजित हुआ । उन्होंने गांव के मुसलमानों को बुलवाया और भडकाया । उन्होंने मुसलमानों से कहा कि टेकरी पर ट्रंगारशा पीर के स्थान में राज्य के खर्च से पक्की दीवाल बनवा दी जाएगी और एक कमरा भी बँधवा दिया जाएगा । ठाकुर ने जैनों को धमकी देते हुए कहलवाया "में ट्रंगारशा पीर के स्थानक में मुसलमानों के द्वारा बकरे की बलि चढवाऊँगा और दादा आदिश्वर पर उसका रक्त छिडनूंगा, तभी संतुष्ट होऊँगा ।" इस बात की जानकारी होने पर पालीताणा के जैन साधुसाध्वी और श्रावक-श्रावीका की एक गुप्त सभा महाराज श्री के सान्निध्य में आयोजित की गई । यह आशातना बंध करवाने के लिए कौनकौन से कदम उठाने चाहिए उसकी गंभीर चर्चा हुई । ठाकुर यदि और चिढ जाय तो अपने राज्य में जैनों को बहुत संत्रास दे सकता है इसलिए खूब समझदारी से काम लेने की आवश्यकता थी । साधु

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