Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 35
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ३० बाद 'पंन्यास' पदवी अर्पण की थी । इस उत्सव के बाद महाराज श्री ने वल्लभीपुर में मुनि आनंदसागरजी, मुनि प्रेमविजय जी तथा मुनि श्रीसुमतिविजयजी को 'भगवती सूत्र' के योगमें प्रवेश करवाया था । उसके पश्चात महाराज श्री वहां से प्रयाण कर अहमदाबाद पधारे और वि.सं. १९६० का चातुर्मास उन्होंने अहमदाबाद में किया । _ वि.सं. १९६० के चातुर्मास के बाद अहमदाबाद से शेठ श्री वाडीलाल जेठालाल ने महाराज श्री की निश्रा में सिद्धाचल की यात्रा का संघ निकाला । संघ ने यात्रा निर्विघ्न और उत्साहपूर्ण ढंग से पूरी की थी । महाराज श्री उसके बाद पालीताणा में कुछ समय स्थायी हुए । पालीताणा-ठाकुर की धृष्टता सम्मुख विजय : पिछले कुछ समय से पालीताणा के ठाकुर श्री मानसिंह जी को जैनों के प्रति द्वैष हो गया था । ठाकुर के राज्य में शत्रुजय का पहाड था । वे पहाड पर जूते पहनकर चढते थे । इस बात के लिए किसी ने उन्हें येका अतः ठाकुर को लगा कि वे स्वयं राज्य के मालिक हैं और कोई सामान्य मनुष्य उनकी आलोचना कैसे कर सकता है ? असहिष्णु और क्रोधी स्वभाव के ठाकुर ने जैनों की पवित्र भावना का आदर करने के बदले जानबूझकर बूट पहनकर धुम्रपान करते हुए पहाडी पर सीधे दादा के दरबार में जाना शुरु किया । इससे जैनों की भावना को और भी चोट पहुंची । ठाकुर के इस अविवेकपूर्ण दुष्ट कृत्य के लिए बहुत ऊहापोह हुआ और

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