Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth PratishthanPage 14
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. गया वे दोनों ऊँट पर सवार हुए । ऊँट पर बैठने का उनका यह पहला अनुभव था । ऊँट की सवारी हड्डियां दुखानेवाली होती है । अतः वे जब आधे रास्ते तक पहुंचे तो थककर चूर हो गए । रास्ते में एक नदी पार करने का भी साहस करना पड़ा था । रात होने पर एक फकीर की कुटिया में उन्हें विश्राम करना पडा । दूसरे दिन तलाजा, भडीभंडारिया, इत्यादि गांवों से होते हुए वे आगे बढ़े। रास्ते में किसी श्रावक के यहां स्नानभोजन की व्यवस्था भी करली । इस तरह वे भावनगर पहुंचे । ऊँटवाले को किराया चुकाया और वे शेठ जशराजभाई के घर गए । वे दोनों दीक्षा लेने की भावना से महुवा से भागकर आए हैं, यह बात जशराजभाई को बताई । जशराजभाई ने भोजन द्वारा उनका आतिथ्य सत्कार किया और बाद में वे उन दोनों को वृद्धिचंद्रजी महाराज के पास ले गए वृद्धिचंद्रजी के समक्ष उन दोनों ने दीक्षा लेने का प्रस्ताव रखा । किन्तु वृद्धिचन्द्रजी महाराज ने कहा कि माता-पिता की अनुमति के बिना वे किसी को दीक्षा नहीं देते । दुर्लभजीभाई के पिता न थे और माता को विशेष विरोध न था अतः उन्हें दीक्षा देना वृद्धिचंद्रजी महाराज ने स्वीकार किया किन्तु नेमचंदभाई को दीक्षा देने से स्पष्ट इन्कार करदिया । स्वयं साधुवेश ग्रहण : उचित मुहूर्त देखकर वृद्धिचंद्रजी महाराज ने दुर्लभजीभाई को विधिपूर्वक दीक्षा दी । नेमचंदभाई उपाश्रय में रहते थे और जशराजभाईPage Navigation
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