Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth PratishthanPage 27
________________ शासन सम्राट: जीवन परिचय.. २२ श्री अमरचंद प्रेमचंद के पुत्र श्री पोपटलाल अमरचंद और अन्य श्रेष्ठी कपडवंज आए और महाराश्री को खंभात में वि.सं. १९५४ का चातुर्मास करने की प्रार्थना की। महाराज श्री ने इस प्रार्थना का स्वीकार किया ' और यथा समय चातुर्मास के लिए खंभात पारे । पाठशाला की स्थापना : शेठ श्री अमरचंद प्रेमचंद खंभात की एक निराली प्रतिभा थी । वे खूब धन कमाते किन्तु अपने परिग्रह परिणाम के व्रत का चुस्त पालन करने के लिए प्रतिवर्ष बहुत सा धन धर्मकार्यों में और साधार्मिकों को मदद करने के लिए खर्च करते थे । उन्होंने सिंहाचल, आबू, केसरियाजी समेत शिखर इस तरह अलग-अलग मिलाकर आठ बार छ 'री' पालक संघ निकाले थे । सातेक बार उन्होंने उपधान कराए बारह व्रतधारी श्री अमरचंदभाई ने महाराज श्री के उपदेश से 'श्री वृद्धिचंद्रजैन संस्कृत पाठशाला' की स्थापना के लिए बडा आर्थिक योगदान दिया था । विद्यार्थियों को उसमें धार्मिक अभ्यास के साथ संस्कृत भाषा व्याकरण इत्यादि का अभ्यास करवाने के लिए उत्तर भारत से पंडितों को बुलवाया गया था । ( इस पाठशाला में अभ्यास करके उजमशीभाई थीया ने महाराज से दीक्षा ली थी और वे उदयसूरि बने थे) जगम पाठशाला : इस पाठशाला के अतिरिक्त महाराज श्री ने एक 'जंगम पाठशाला' की स्थापना की । महाराजश्री के साथ वे विद्यार्थी विहारPage Navigation
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