Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay
Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi
Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan

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Page 7
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. कर हर्षविभोर हो जाते हैं । इतने से ही उन संत - शिरोमणि का पवित्र जीवन कितना सुवासित और दूरगामी होगा उसकी प्रतीति होती 'शासन सम्राट' का योगदान : 'शासन सम्राट' के बिरुद को केवल सार्थक करने वाले नहीं, किन्तु विशेषण की शोभा बढानेवाले तीर्थोद्धार, तीर्थरक्षा, उपधान ६ 'री' पालक संघ, जीवदया, धर्मशाला, पाठशाला, उपाश्रयों इत्यादि कार्यों में अधिक और महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले, विद्वान शिष्य तैयार करनेवाले, ज्ञानभंडारों को सुव्यवस्थित करनेवाले, सिद्धचक्र पूजन, अर्हन्तपूजन जैसे भूलादिए गए पूजनों को विधि-विधान और शास्त्र संगत ढंग से पुनर्प्रचलित करानेवाले, पिछले ढाई सौ वर्ष के दरम्यान योगाद्वहन पूर्वक होनेवाले प्रथम आचार्य पूज्य श्री विजयनेमिसूरिजी का जितना विशाल शिष्य समुदाय था उतनाही श्रावक समुदायभी था । इसीलिए उनके हाथों से एक समय में लाखों रुपयों के कार्य जगह - जगह पर सुव्यवस्थित ढंग से हुए । जिसके प्रभाव का अनुभव आज तक हो रहा है । जन्म कुंडली : पू. नेमिसूरिजीमहाराजश्री का जन्म वि.सं. १९२९की कार्तिक सुद प्रतिपदा(एकम) के दिन सौराष्ट्र के महुवा गांव में हुआ था । नूतन वर्ष के पवित्र पर्व के दिन पुत्र होना किसी भी परिवार के ६ 'री' पालक संघ:- सम्यक्त्वधारी, पादचारी, एकाशनकारी, सचित परिहारी,. ब्रह्मचारी, भूमिसंस्तारकारी इन ६ प्रकार ‘री वाले यात्रियों को ६ 'री' पालक यात्रसंघ कहते हैं।

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