Book Title: Shasan Samrat Jivan Parichay Author(s): Ramanlal C Shah, Pritam Singhvi Publisher: Parshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan View full book textPage 6
________________ शासन सम्राट: जीवन परिचय. श्री विजयनेमिसूरि महाराज विरल व्यक्तित्व, विरल जीवन : १ विक्रम की २०वीं सदी में हुए जैनाचार्यों में 'सूरिचक्र चक्रवर्ती' का जिन्हें बिरूद दिया गया है ऐसे प. पू. श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज साहब का जीवन-वृतान्त अनेक घटनाओं से पूर्ण, रसपूर्ण और प्रेरणादायी है । पृथ्वी को प्रकाशित करने के लिए जैसे कोई ज्योतिपुंज अवतरित हुआ हो उनका जीवन ऐसा पवित्र है । बाल- ब्रह्मचारी महात्मा ने ब्रह्मचर्य की साधना मन, वचन और काया से इसप्रकार अखंड और अनवरत की कि उनका गेहूँआ श्यामल तन दीप्त हो उठा । उनकी मुखकांन्ति इतनी आकर्षक और प्रतापी थी कि उन्हें देखते ही मनुष्य प्रभावित हो जाय । उनके नयनों से अनराधार करुणा बहती थी । फिरभी उनके नयनों मे वात्सल्यपूर्ण वशीकरण की असीम शक्ति थी। ऐसा ज्योतिपुंज उनके नयनों में था कि सामान्य मनुष्य को उनसे दृष्टि मिलाने में ग्लानि का अनुभव होता था । प. पू. श्री विजयनेमिसूरि महाराजश्री के जीवन की एक घटना आश्चर्यजनक है । उनका देहावतरण और विसर्जन (देहोत्सर्ग) उसी भूमि उसी तिथि, उसीदिन और उसी घडी मे हुआ था । वर्तमान समय में जैनों के चारों समुदायों में यदि किसी आचार्य महात्मा के शिष्य प्रशिष्यों का व्यापक समुदाय है तो विजयनेमिसूरिजी का जिन्होंने अपने दादागुरु के दर्शन नहीं किए ऐसे तीसरी चौथी पीढ़ी के अनगिनत शिष्य 'नेमिसूरिदादा' शब्द उच्चरितPage Navigation
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