Book Title: Shanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan Author(s): Saumyagunashreeji Publisher: Prachya VidyapithPage 84
________________ 34... शंका नवि चित्त धरिये! शंका- सर्व सावध योग के त्यागी मुनि भगवंतों द्वारा द्रव्यस्तव करने का निषेध है तो फिर वे पूजन आदि में कैसे आ सकते हैं? समाधान- साधु-साध्वी भगवंतों के लिए द्रव्यस्तव का निषेध है, परंतु उपदेश आदि के द्वारा द्रव्य पूजा करवाने अथवा उसकी अनुमोदना करने का कोई निषेध नहीं है। प्रतिमाशतक, स्तव परिज्ञा आदि में इस विषय सम्बन्धी विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। शंका- सर्व सावध कार्यों से विरत साधु-साध्वी यदि जिनपूजा हेतु प्रेरित करें तो तत्सम्बन्धी हिंसा का दोष साधु को लगता है या नहीं? समाधान- मुनि भगवंत श्रावकों को जिनपूजा आदि की प्रेरणा उनकी आध्यात्मिक जागृति, भावनात्मक उन्नति, संयम विरति एवं सुप्रशस्त कार्यों में प्रवृत्ति करवाने के उद्देश्य से देते हैं। यदि जिनपूजा आदि के उपदेश में सावध की प्रेरणा देने का दोष लगता हो तो तीर्थंकर परमात्मा के द्वारा देश विरति, सम्यक्त्व आचार, मार्गानुसारिता एवं श्रावक धर्म आदि का उपदेश देने में भी उन्हें इसी प्रकार के दोष लगते, पर ऐसा नहीं है। ये कार्य गृहस्थ को अन्य पाप कार्यों में प्रवृत्त होने से रोकते हैं। गजसुकुमाल को नेमिनाथ भगवान ने श्मशान में साधना की आज्ञा दी थी इसका यह अभिप्राय नहीं की उनके शिरज्वलन और देहान्त के दोषी वे थे। शंका- साधु-साध्वी न्हवण जल लगा सकते हैं? समाधान- यदि कोई श्रावक-श्राविका श्रद्धा भाव पूर्वक किसी महातीर्थ या शांति स्नात्र आदि का न्हवण जल लेकर आते है तो साधु-साध्वी उसका अनादर न करें किन्तु प्रक्षाल हुए दो घड़ी (48 मिनट) का समय बीत गया हो यह उपयोग अवश्य रखें। यदि किसी अन्य तीर्थ का न्हवण हो तो उसमें उचित मात्रा में कपूर या बरास आदि मिले हुए हों तो साधु-साध्वी उसे तीन दिन तक लगा सकते हैं। तीन दिन के बाद उसमें भी जीवोत्पत्ति होने की संभावना रहती है अत: इससे अधिक समय के बाद उसे नहीं रखना चाहिए। शंका-जिनपूजा भक्ति स्वरूप होने से इसमें विराधना नहीं है तो फिर पंच महाव्रतधारी साधु द्रव्यपूजा क्यों नहीं करते? समाधान- साधुओं के द्वारा द्रव्य पूजा नहीं करने का कारण उसमें रहीं हुई हिंसा वृत्ति नहीं है। साधु तो द्रव्य के त्यागी होते हैं और बिना द्रव्य के द्रव्यPage Navigation
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