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54... शंका नवि चित्त धरिये !
शंका - गृह-मंदिर में स्थाप्य प्रतिमा को किस द्रव्य से स्थिर करना चाहिए?
समाधान- सामान्यतया घर मन्दिर में चल प्रतिमा रखना अधिक उपयुक्त है। इससे परिस्थिति विशेष में उनका स्थानांतरण सहज हो सकता है, सफाई भी समुचित रूप से हो सकती है। विशेष संयोगों में गुरु भगवंतों से निर्देशन लेकर कार्य करना चाहिए।
शंका- घर, मंदिर में प्रतिष्ठा के शिलालेख लिख सकते हैं?
समाधान- यदि घर मन्दिर की प्रतिष्ठा हेतु गुरु भगवंतों की निश्रा प्राप्त हुई हो तो प्रतिष्ठा संवत, तिथि, निश्रादाता गुरु का नाम आदि शिलालेख के रूप में अवश्य लिखना चाहिए। इससे भावी पीढ़ी को अनायास प्रेरणा एवं जानकारी प्राप्त होती है।
शंका- घर मन्दिर में चढ़ाई गई सामग्री घर के नौकरों को दे सकते है ? समाधान- घर मन्दिर का निर्माल्य द्रव्य स्व आश्रित नौकरों को नहीं दिया जा सकता। यहाँ तक की उनसे मूल्य लेकर भी उन्हें नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे देव द्रव्य का दोष लगने की संभावना रहती है, ऐसा आचार्यों का मत है। निर्माल्य द्रव्य ऐसे अजैन व्यक्ति को देना चाहिए जिसके साथ कोई सम्बन्ध या व्यवहार नहीं हो ।
शंका- घर मन्दिर में हर वर्ष अठारह अभिषेक करना आवश्यक है ? समाधान- घर मंदिर में अठारह अभिषेक करवाने का कोई विधान नहीं है। परंतु यदि कर लिया जाए तो कोई दोष भी नहीं है । जाने-अनजाने में घर के वातावरण आदि के कारण जो आशातना एवं दोष लगते हैं उनका निवारण इसके द्वारा हो सकता है।
शंका - गृह चैत्य में आरती कब करनी चाहिए?
समाधान- सामान्य संयोगों में संध्या के समय आरती, मंगल दीपक आदि करना चाहिए। परंतु विशेष कारण उपस्थित होने पर या नगर से बाहर जाते समय सुबह अष्ट प्रकारी पूजा करके भी आरती कर सकते हैं।
शंका - गृह चैत्य खोलने और बंद करने के विषय में क्या नियम है?