Book Title: Shanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 117
________________ पूजन- महापूजन प्राचीन या अर्वाचीन... 67 पार्टियों का यशवर्धन अधिक कर रहे हैं। शंका- स्नात्र पूजा में पंच कल्याणक का समावेश कैसे है ? समाधान- स्नात्र पूजा करते हुए चौदह स्वप्न का वर्णन एवं शक्रस्तव के द्वारा च्यवन कल्याणक की आराधना होती है। स्नान, विलेपन, दीप, दर्पण, पंखी आदि के द्वारा जन्म कल्याणक का अनुकरण किया जाता है। दीक्षा कल्याणक के समय देवदूष्य वस्त्र के अनुकरण रूप वस्त्र पूजा और शंख, वाजित्रं, इन्द्र ध्वजा आदि के द्वारा दीक्षा कल्याणक, आठ प्रातिहार्य, नैवेद्य, पूष्प पूजा, अष्ट मंगल आदि करके केवलज्ञान कल्याणक तथा परमात्मा की उत्कृष्ट सिद्ध अवस्था का स्मरण करते हुए स्तुति, स्तवन, चैत्यवंदन आदि के द्वारा निर्वाण कल्याणक का वर्णन किया जाता है । इस प्रकार स्नात्र पूजा में पाँचों ही कल्याणक की भाव आराधना की जाती है। शंका- प्रतिष्ठा, अंजनशलाका, महापूजन आदि अनुष्ठानों के समय डाभ (नारियल) में क्षेत्रपाल की स्थापना क्यों ? समाधान- डाभ को देवताओं का प्रिय फल माना जाता है। लोक व्यवहार में भी श्रीफल को उत्तम फल की उपमा दी गई है । हरा नारियल नया होने से दीर्घ जीवी होता है तथा देव भी दीर्घ जीवी होते हैं अतः महापूजन आदि में डाभ को देव रूप में स्थापित किया जाता है। अंजनशलाका आदि विधानों में हरे नारियल की जगह चोटी वाला नारियल स्थापित किया जाता है क्योंकि अंजनशलाका आदि बृहद अनुष्ठानों में स्थापना 7-8 दिन के लिए की जाती है। हरे नारियल के जल्दी खराब होने की संभावना रहती है वही चोटी वाला नारियल लम्बे समय तक टिक सकता है अत: अंजनशलाका आदि विधानों में चोटी वाले नारियल की स्थापना की जाती है। शंका- शांति स्नात्र करवाने के बाद छह महीने तक वेदिका यथावत क्यों रखी जाती है ? समाधान- वृद्ध परम्परा के अनुसार शान्ति स्नात्र का प्रभाव छह महीने तक बना रहे तो वहाँ पर शुद्धता व्याप्त हो जाती है। वेदिका को छह महीने तक अखंडित रखने का अन्य हेतु उस स्थान की पवित्रता को बनाए रखना भी है। वेदिका के कारण उस स्थान पर किसी के पैर नहीं आते और वह स्थान चिरकाल के लिए पवित्र बना रहता है।

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