Book Title: Shanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 130
________________ 80...शंका नवि चित्त धरिये ! बात क्यों? अशुद्ध द्रव्य में अधिकता की अपेक्षा शुद्ध द्रव्य थोड़ा भी हो तो अधिक लाभकारी है। द्रव्य की शुद्धता से ही भावों की शुद्धता जुड़ी हुई है। मन्दिरों में अखंड दीपक रखने का कोई शास्त्रीय विधान नहीं है। अत: उसे कारण बनाकर अशुद्ध द्रव्य का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि शास्त्रोक्त शिल्प विधि से मन्दिरों का निर्माण किया जाए एवं नियमानुसार उन्हें खोला एवं बंद किया जाए तो बिजली की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। हिंसा को बढ़ावा देकर देव द्रव्य की वृद्धि किसी भी प्रकार नहीं करना यही जिनाज्ञा है। शंका- शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा से उतरा हुआ वासक्षेप श्रावक-श्राविका रोग निवारण आदि के लिए प्रयोग कर सकते हैं? समाधान- शंखेश्वर पार्श्वनाथ या अन्य किसी भी जिन प्रतिमा के अंग से उतरा हुआ वासक्षेप श्रावक वर्ग न अपने मस्तक आदि पर ले सकता है और न ही रोग निवारणार्थ उसका उपभोग कर सकता है। परमात्मा पर चढ़ी वासक्षेप के प्रयोग से देव द्रव्य भक्षण का दोष लगता है। शास्त्रानुसार केवल भगवान के स्नात्र जल को श्रद्धा पूर्वक सिर पर लगा सकते हैं। इसका उल्लेख बड़ी शान्ति में भी आता है। शंका- सजोड़े परमात्मा की पूजा करनी चाहिए या नहीं? समाधान- जिनालय में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ऐसा शास्त्रों में वर्णन है। इस तथ्य के आधार पर मन्दिर में सजोड़े पूजा नहीं करनी चाहिए। भगवान के मन्दिर में राग-द्वेष और संसार को कम करने का प्रयत्न किया जाता है। यदि सजोड़े पूजा करते हुए कोई भी क्रिया संसार वृद्धि का कारण बनती हो तो किसी भी हालत में सजोड़े पूजा नहीं करनी चाहिए। यदि पति-पत्नी के ब्रह्मचर्य व्रत का नियम हो अथवा दोनों में से किसी एक को पूजा नहीं आती हो तो एक साथ पूजा करने में कोई दोष नहीं है परंतु मन्दिर की मर्यादाओं का पूर्ण ध्यान रखें। मन्दिर में पत्नी-परिवारवाद के भाव न आए यह सावधानी अवश्य रखनी चाहिए। संभवतया श्रावक-श्राविकाओं को एक दूसरे का स्पर्श नहीं करना चाहिए। शंका- परमात्मा की आंगी में Artificial Jewellery का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए? समाधान- बेटी को दहेज में या बहु को शादी में सिर्फ Artificial

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