Book Title: Shanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

Previous | Next

Page 137
________________ अंजनशलाका प्रतिष्ठा में बढ़ते आयोजन कितने प्रासंगिक? ...87 समाधान- वर्तमान में पत्र-पत्रिकाओं का कलेवर पूर्वापेक्षा बहुत अधिक बढ़ गया है। पत्र-पत्रिकाएँ यह क्रियानुष्ठानों की सूचक एवं आमंत्रक है। श्री संघ का गौरव एवं गरिमा बनी रहे ऐसी पत्रिका छपवाने में कोई दोष नहीं है परन्तु वर्तमान में बढ़ रहा फोटो आदि का प्रचलन अवश्य विचारणीय है। इसी प्रकार प्रतिष्ठा महोत्सवों का भव्य आयोजन करने के चक्कर में कई बार जिनाज्ञा के विरुद्ध कार्य भी किए जाते हैं जैसे कि रात्रि में भोजन की भट्टियों का चलना, नृत्य, जादू आदि दिखाना। भोजन और प्रतिष्ठा चढ़ावों के आधार पर प्रतिष्ठा की सफलता का निर्णय करना एक गलत परम्परा है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152