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70... शंका नवि चित्त धरिये !
सामान्यतया अपने घर या उपाश्रय में सामायिक लेकर जाप करना चाहिए। गृह मन्दिरों के विधान का एक मुख्य कारण यह भी है। परमात्मा के समक्ष देवी-देवताओं का जाप नहीं करना चाहिए। इससे परमात्मा की लघुता आदि का दोष लगता है। जिनेश्वर परमात्मा का नाम सुमिरण ही समस्त आपदाओं के निवारण में सक्षम है।
शंका- मन्दिर के गंभारे के बाहर A.C. कूलर या पंखा क्यों नहीं लगाना चाहिए?
समाधान- गृह मंदिर हो, संघ मन्दिर हो अथवा उपाश्रय वहाँ पर A.C. कूलर आदि साधन लगाना अनुचित है। भक्ति का मार्ग साधना का मार्ग है। इसमें मन को बाह्य प्रवृत्तियों से हटाकर भीतर की ओर साधा जाता है। बाह्य साधनों की अनुकूलता शरीर को आराम पहुँचाती है, प्रमादी बनाती है। भक्ति का लक्ष्य शरीर को नहीं मन को आराम पहुँचाना है। उसे अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों में समभाव में रहने हेतु प्रशिक्षित करना है। A.C. आदि साधनों के प्रयोग से मनोजयी एवं इन्द्रियजयी बनने का लक्ष्य सध नहीं सकता। इसी के साथ अकारण अनेक जीवों की हिंसा होती है। ___ जैन धर्म की साधना का मूल उद्देश्य प्रतिकूलताओं को स्वीकार एवं उस साँचे में स्वयं को ढालकर उस पर विजय प्राप्त करना है। अत: साधना स्थलों पर A.C. आदि साधनों के प्रयोग का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। यदि मन्दिरों का निर्माण शास्त्र मर्यादा अनुसार किया जाए तो इन साधनों की आवश्यकता ही नहीं रहती।
शंका- गृह मन्दिर में गणेशजी, लक्ष्मीजी आदि की स्थापना कर सकते हैं?
समाधान- जैन मन्दिरों में वीतराग परमात्मा, निर्ग्रन्थ सद्गुरु शासन रक्षक सम्यक्त्वी देवी-देवताओं की स्थापना शिल्प विधि के अनुसार की जा सकती है। अन्य धर्मी देवी-देवताओं एवं गुरुओं की मूर्ति स्थापित करने से मिथ्यात्व का पोषण होता है। जिनेश्वर परमात्मा और जैन धर्म की लघुता होती है। कई स्थानों पर ऐसे मन्दिरों का निर्माण किया जाता है। जहाँ पर अन्य परम्परा के मन्दिर भी साथ में बनाए जाते हैं। श्रावक वर्ग को पूर्ण सावधानीपूर्वक ऐसे स्थानों में दर्शन आदि करने चाहिए क्योंकि वहाँ मिथ्यात्व की तरफ झुकाव होने