Book Title: Shanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 125
________________ कैसे बचें विराधना से? ...75 एवं अमानवीय है। इसमें देवद्रव्य के भक्षण का भी दोष लगता है। मन्दिर में आने के पश्चात पुजारी पर हुक्म चलाना, नौकरों की तरह उनसे व्यवहार करना, मालिकपना जताते हुए उन्हें एक कार्य के लिए आदेश देना सर्वथा अनुचित है। यथासंभव श्रावकों को अपने सभी कार्य स्वयं करने चाहिए। मन्दिर कार्यों के लिए भी पूजारी को प्रेम पूर्वक समझाना चाहिए। ___ शंका- जिन मन्दिरों में लाईटों का निषेध क्यों? समाधान- आचारांग सूत्र में अग्निकाय को दीर्घकाय शस्त्र एवं सर्वभक्षी आदि उपमाओं से संबोधित किया गया है। विधि ग्रन्थों में मन्दिर में शीतल एवं सौम्य प्रकाश युक्त घृत दीपक रखने का निर्देश है। यदि शास्त्रोक्त नियमों के अनुसार मन्दिर खोले एवं बंद किए जाए तो दीपक की भी आवश्यकता नहींवत रहती है। बिजली निर्माण में षटकाय जीवों की हिंसा का दोष लगता है। कितने ही छोटे-छोटे जीव लाईट से आकर्षित होकर मृत्यु को प्राप्त करते हैं। जिनमन्दिर करुणा का उद्गम स्थल न रहकर हिंसा का कारखाना बन जाता है। लाईट की रोशनी से जिनमन्दिर के विशुद्ध परमाणु अशुद्ध बन जाते हैं। वातावरण की पवित्रता नष्ट हो जाती है। Focus Light आदि के प्रयोग से मूर्ति के प्रभाव और कान्ति में भी कमी आती है। कई बार यह आगजनी एवं भारी नुकसान में भी हेतुभूत बनती है। इन्हीं सब कारणों को ध्यान में रखते हुए जिन मन्दिरों में लाईटों के प्रयोग का निषेध किया गया है। अत: मन्दिर में लाईटों का उपयोग करने से पूर्व श्रावक वर्ग को एक बार अवश्य चिंतन करना चाहिए। शंका- प्रक्षाल हेतु पैकेट वाले दूध का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए? समाधान- शास्त्रों में प्रक्षाल हेतु पंचामृत के प्रयोग का विधान है। वर्तमान में यह विधान केवल दुध तक ही सीमित रह गया है। प्रक्षाल हेतु गाय का शुद्ध दूध प्रयोग में लेना चाहिए। यदि उपलब्ध न हो तो भैस का दूध प्रयोग कर सकते हैं पर इसके अतिरिक्त पैकेट बंद या पाउडर वाला दूध उपयोग में नहीं लेना चाहिए। पैकेट बंद बासी दूध की अपेक्षा मात्र जल से प्रक्षाल करना ज्यादा लाभकारी है। शंका- पूजा हेतु श्रावक स्वयं पुष्पों को चुनकर ला सकता है या नहीं? समाधान- शान्तिनाथ चरित्र के अनुसार यदि शुद्ध पुष्प उपलब्ध न हों तो

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