Book Title: Shanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 109
________________ अध्याय-6 ऐसे करें जिन मन्दिर व्यवस्था शंका- मन्दिर में घड़ी क्यों नहीं लगानी चाहिए? समाधान- मन्दिर काल पर विजय प्राप्त करने का स्थान है अत: वहाँ काल दर्शक यन्त्रों का उपयोग क्यों हो? पूजा-दर्शन आदि करते समय इसके कारण एकाग्रता खंडित होने की संभावना रहती है। घड़ी में प्रयुक्त सेल, चमड़े के बेल्ट, स्टेनलेस स्टील आदि अशुद्ध द्रव्य माने जाते हैं। इनके स्पर्श से परमात्मा की आशातना होती है। वायुकाय जीवों की हिंसा का अकारण दोष लगता है इत्यादि हेतुओं से मन्दिर में घड़ी के प्रयोग का निषेध है। समाधान- प्रभु प्रतिमा से अलग हुए चक्षु, तिलक, कपाली आदि फेवी क्वीक से चिपका सकते हैं? __समाधान- किसी भी प्रकार के केमिकल से बने हुए सोल्युशन आदि का प्रयोग जिन प्रतिमा पर नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह सभी द्रव्य अशुद्ध माने जाते हैं और इनके प्रयोग से जिनेश्वर परमात्मा की आशातना होती है। तिलक, टीका, चक्षु आदि चिपकाने हेतु राल का प्रयोग करना चाहिए। यदि विधिपूर्वक राल का प्रयोग किया जाए तो चिपकाए गए तिलक आदि बार-बार नहीं खुलते। वर्तमान में पंचधातु की प्रतिमा-गट्टा जी आदि की चमक बढ़ाने के लिए पिताम्बरी आदि कई केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है यह सर्वथा अनुचित है। दही, नीबु आदि के प्रयोग द्वारा भी उनकी चमक को कायम रखा जा सकता है। शंका- मन्दिर परिसर में वैयक्तिक विज्ञापन (Advertisement) के लिए बैनर-पेम्पलेट आदि लगा सकते हैं? समाधान- मन्दिर के परिसर में अथवा पूजन-अनुष्ठान आदि प्रसंगों पर किसी भी प्रकार के वैयक्तिक व्यापार आदि की Advertisement नहीं करनी

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