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वर्तमान में गृह मन्दिरों का औचित्य कितना? ...55
समाधान– सामान्यतया गृह मन्दिर को सूर्योदय के बाद खोलना और सूर्यास्त के बाद बंद कर देना चाहिए। संयोग विशेष के कारण या भक्ति आदि के निमित्त से आगे-पीछे भी खोल या बंद कर सकते हैं।
शंका- रात्रि में किसी की शारीरिक स्थिति गंभीर (Serious) हो जाए तो समाधि हेतु घर मंदिर खोल सकते हैं ?
समाधान- इस प्रकार की विशेष परिस्थितियों में घर मंदिर खोल सकते हैं क्योंकि किसी प्रकार का निषेध शास्त्रों में प्राप्त नहीं होता है । - शंका - गृह मंदिर कौनसी दिशा में होना चाहिए ?
समाधान- गृह मंदिर का मुख पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। इससे पूजा करने वाले का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रहता है । पूजा के लिए यह दोनों दिशाएँ शुभ मानी गई है। पूजार्थी का मुख पश्चिम दिशा में होने से पीढ़ी का नाश, दक्षिण में होने से संतान की हानि, अग्नि कोण में धन का नाश, वायु कोण में संतति का नाश, नैऋत्य कोण में फल का नाश एवं ईशान कोण में होने से संपत्ति का नाश होता है ।
शंका - गृह मन्दिर में कौन से भगवान की प्रतिमा रखनी चाहिए?
समाधान- घर मन्दिर अथवा संघ मन्दिर में प्रतिमा की स्थापना धारणा यंत्र के अनुसार की जाती है। कुछ शास्त्रों में मल्लिनाथ, नेमिनाथ एवं महावीर स्वामी के नाम से घर मन्दिर बनवाने का निषेध किया गया है। इसका मुख्य कारण यह माना जाता है कि यह तीनों तीर्थंकर पुत्र रहित थे जबकि गृहस्थ पुत्र कामना से युक्त होता है। यह मूर्तियाँ विशेष वैराग्य में आलम्बनभूत बनते हुए गृहस्थ को गृह कार्यों में अनासक्त कर सकती है। इससे अन्य बाल जीवों के मन में गृह मंदिर के प्रति अभाव उत्पन्न हो सकता है। गृहस्थ की इसी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए शास्त्रकारों ने उक्त तीन भगवानों का निषेध किया है। शंका - गृह चैत्य में रखने योग्य प्रतिमा की लम्बाई कितनी होनी
चाहिए?
समाधान- घर मन्दिर में रखी गई प्रतिमा ग्यारह इंच से ज्यादा लम्बी नहीं होनी चाहिए। प्रतिमा परिकर युक्त 3, 5, 7, 9 और 11 इंच की हो सकती है। शंका - गृह मन्दिर में किस धातु की प्रतिमा रख सकते हैं?