________________
52... शंका नवि चित्त धरिये !
शंका- जिस कमरे में मन्दिर हो वहाँ अन्य सांसारिक क्रियाएँ कर सकते हैं?
समाधान- यदि कमरे का निर्माण विशेष रूप से घर मन्दिर के लिए ही किया गया हो तो वहाँ सांसारिक कार्य नहीं करना ही ज्यादा उचित है। परंतु यदि सामान्य कमरे में मन्दिर बनाया गया हो तो जब तक पूजा भक्ति आदि कार्य कर रहे हों तब तक सांसारिक कार्य नहीं करने चाहिए। शेष समय में पर्दा करके या दरवाजा बंद करके सांसारिक कृत्य किए जा सकते हैं। इससे जिनमंदिर भोग का दोष नहीं लगता।
शंका- अन्य श्रावकों द्वारा प्रदत्त सामग्री से गृह मन्दिर में पूजा कर सकते हैं?
समाधान- जहाँ तक संभव हो गृह मन्दिर में स्व सामग्री का ही प्रयोग करना चाहिए। यदि कोई अन्य व्यक्ति अति आग्रह पूर्वक सामग्री दे रहा हो तो उसके भावों को ध्यान में रखते हुए उसे ग्रहण करने के बाद अपनी सामग्री के साथ अतिरिक्त सामग्री के रूप में प्रयुक्त कर सकते हैं। प्रदत्त सामग्री को संघ मन्दिर में भी अर्पित कर सकते हैं।
शंका- घर मन्दिर में एकत्रित निर्माल्य द्रव्य एवं भंडार की आवक का उपयोग कहाँ करना चाहिए?
समाधान- व्यक्तिगत गृह मंदिर के भंडार एवं निर्माल्य द्रव्य की आवक को देवद्रव्य के रूप में तीर्थ या संघ मन्दिर के जीर्णोद्धार हेतु प्रयुक्त करना चाहिए। घर मंन्दिर का कोई भी कार्य उस द्रव्य से नहीं हो सकता। उस राशि का जहाँ भी उपयोग किया जाए वहाँ खुद का नाम नहीं लिखवाकर ‘स्वयं के हस्तगत अमुक गृह मन्दिर के देवद्रव्य की आवक में से दिया' ऐसा लिखवाना चाहिए। निर्माल्य द्रव्य भी संघ मंदिर में जमा करवाना चाहिए अथवा एकत्रित सामग्री को बेचकर उतना द्रव्य देवद्रव्य में डाल देना चाहिए। घर के नौकरों को वह सामग्री नहीं दे सकते।
शंका- गृह मंदिर मे गुरु मूर्ति रख सकते हैं?
समाधान- जिन प्रतिमा और गुरु प्रतिमा दोनों ही स्थापना निक्षेप है केवल दोनों में स्तर भेद है अत: दोनों के स्थान को ऊपर नीचे रखते हुए क्रम पूर्वक