Book Title: Shanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 100
________________ अध्याय-5 वर्तमान में गृह मन्दिरों का औचित्य कितना? शंका- शहर में संघ मंदिर होने पर गृह मंदिर की आवश्यकता क्यों ? समाधान- शहर में अस्पताल होने पर भी घर में First Aid Box क्यों रखा जाता है ? Multiplex Cinema Hall होने पर घर में T. V. की क्या आवश्यकता? Account में पैसा होने पर घर में Cash क्यों रखा जाता है ? इन प्रश्नों का उत्तर आप सभी जानते हैं। जो वस्तु सामूहिक अधिकार की होती है उसमें सामुदायिक नियमों के अनुसार ही वर्तन किया जाता है। व्यक्ति, इच्छा एवं आवश्यकता अनुसार उनका प्रयोग नहीं कर सकता। इसी प्रकार सामूहिक मंदिर में व्यक्ति को नियम एवं मर्यादा के अनुसार समय नियोजन करना पड़ता है। कोई व्यक्ति यदि अधिक समय तक परमात्म भक्ति करना चाहे अथवा स्वेच्छा से सुविधा अनुसार मन्दिर में जाकर बैठना चाहे तो संघ मन्दिर में वह संभव नहीं है। वहीं गृह मन्दिर होने पर इच्छा अनुसार परमात्म भक्ति की जा सकती है। परिवार में उत्तम संस्कारों का रोपण कर सकते हैं। शारीरिक अस्वस्थता या विशेष कारण उपस्थित होने पर व्यक्ति परमात्म दर्शन से वंचित नहीं रहता। इससे घर का वातावरण भी शुद्ध, सात्त्विक एवं सम्यक बनता है। गृह मंदिर घर में ऊर्जा स्रोत की भाँति कार्य करता है। अतः विशेष आत्म आराधना के उद्देश्य से संघ मन्दिर होने पर भी गृह मन्दिर होना नितांत आवश्यक है। शंका- जिस घर में हम रहते हैं वहाँ परमात्मा को स्थापित करने से आशातना नहीं होती ? समाधान- गृहांगन में पूज्यजनों का होना आशातना में नहीं बल्कि आराधना में सहायक बनता है । आदर-सम्मान एवं विधिपूर्वक उनकी भक्ति करने से विराधना नहीं होती फिर भी उपयोगपूर्वक कार्य करते हुए प्रमाद या

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