Book Title: Shaddravya ki Avashyakata va Siddhi aur Jain Sahitya ka Mahattva
Author(s): Mathuradas Pt, Ajit Kumar, Others
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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________________ अन्य द्र० द्रव्यका लक्षण इसमें घट ही जाता है, फिर भी अन्धकारको द्रव्य न मानने में सिलाय तीव्र मोहके और कोई कारण नहीं कहा जासकता।" ', यह सब उक्त. शङ्काकारका वगनाल मात्र ही है। क्योंकि अन्धकार तेनके भभावके सिवाय कोई भावान्तर नहीं है। (शङ्काकार) यदि ऐसा ही है तो फिर अन्धकारका अभाव ही तेजः द्रव्य हो. जायगा / अन्धकार ही को मान लीजिए / तमकों तैनका अभाव होनेसे न मानना और तेनको तमका अमाव होने पर भी मानना यहां विद्वेषातिरिक्त क्या कारण कहा जा सका है। (उत्तर दाता) यदि तेज़ द्रव्यको अन्धकारका अभाव. मान लिया जाय तो अभावमें सर्वानुमृत उष्णत्व नहीं रह सक्ता, और फिर उस उष्णत्वकी आधारः रूप कोई अन्य द्रव्य माननी पड़ेगी।.... द्वितीय, उन्धकार चता है. यही द्रव्यका लक्षण मी संघटित नहीं होता। क्योंकि नील रूपको जो यहाँ प्रतीति होती है, वह भ्रांत रूप ही है / अतः द्रव्यः 9 ही माननी चाहिये न अधिक और न कम्। इस सबके सामनेवाले वैशेषिश्के मतमें द्रव्यको एकता सिद्ध नहीं हो सकी क्योंकि द्रा को 9 मेदनाला माना है और द्रव्यको एकता न बननेसे सात पदार्थों की सिद्धि नहीं हो. सती, क्योंकि स्वतंत्र नौ द्रयों को एक द्रव्य सिद्धि होनेपर द्रव्य रूप, रस, गंध, स्पर्श, संख्या, परियण, पृषकत्व, सयोग विभाग, परत्व, अपरन, गुरुत्व, द्रव्यत्व, स्नेह, शब्द, बुद्धि, सुख, दुःख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्म, अधर्म और सकार 'इन 24 गुणोंमें ऐक्य सिद्ध होनेसे एक गुण, उक्षेपादिः पूर्वोक्त पांच क्रियाओं में .. एकता सिद्ध होने से एक क्रिया, पर-अपर दो सामान्योंमें तथा नित्य द्रव्यमें रहनेवाले .. अनन्त विशेषोंमें एकात्वं सिद्ध होने पर एक सामान्य व एक विशेष प्रागभव, प्रध्वसामाव, भत्यतामाद, अन्योन्यामाव इन चार अभावोंमें एकता सिद्ध होनेसे एक अमाव, एक समवाके समान सिद्ध होते तो सात पदार्थोकी सिद्ध होती लेकिन उक्त द्रव्य गुण कर्मादिकमि एकता सिद्ध नहीं हो सकती अतः पदार्थ सात हैं यह कहना श्रममात्र है। द्रव्यत्वके योगसे * “एक द्रव्य मानेगे तो उपचारसे ही एकता सिद्ध होगी परमार्थतः सिद्ध नहीं हो सकती। ... (शङ्काकार) द्रव्य एक पदकी सामर्थ द्रव्य ..सव भेद; "प्रभेद ग्रहण कर लिये जावेगे द्रव्यमें एकता और गुण कर्मादिमें भी इसी तरह एकता आनेसे सात ' पदार्थकी सिद्धि हो जायगी, उत्ताच- . :..:. . . . विस्तरणोपदिष्टानामर्थानां तत्वनिश्चय समासेनाभिधाने यत्सग्रह तं विषुधा अर्थ-वस्तारपूर्वक किन पदार्थों का तत्वनिश्चकक लिए उपदेश दिया जाता है . . .