Book Title: Shaddravya ki Avashyakata va Siddhi aur Jain Sahitya ka Mahattva
Author(s): Mathuradas Pt, Ajit Kumar, Others
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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(४६) . . अर्थात्-विद्वान् पुरुषोंने शंगार, वीर, करणा, अदुनं, हास्य भयानक, रौद्र, : वीभत्स, .. - और शान्त ये नव ९ रस कहे हैं । और इनके मी स्थायी भाव, अस्थायिभावः अर्थात.
ति, हास्य, शोकादि भावोंका विस्त र किया है । इस प्रकार सरन्धादि फल, लामादि... पूर्वक यह "सूक्ष्म उपोद्धात" बाद हम जैन: काव्य और इतर काव्योंको देखते हैं तो पदलालित्य, अर्थगौरव, शब्दगौरव, विषयगहनता, रसंपूर्णता, सौन्दर्यादि गुण जैन कायोंमें .
पाये जाते हैं, उतने अन्यमें नहीं पाये जाते हैं । यह बात. नो, विद्वान् व जिनके पास - सज्ज्ञान पेटी रूपी कप्तौटी है वे स्वयं इस संदर्शन जान सकते हैं :-...........
दृष्टांतके लिये "कादम्बरी' नाम उच्च ग्रंथके कुछ अंश आपके समक्ष उपस्थित करता . हूं.। कादम्बरीके रचयिता वात्स्यायन वंशमें उत्पन्न कुवेर नामक विद्वान उनके चित्रभानु
और.चित्रमानुके सुपुत्र श्री वाणकवि हैं। इन व विका समय काल ममी ठीक.२ निश्चित. नहीं हुआ है, fiतु इतिहासवेत्ताओंको तथा मुझे भी जहांतक पता चला है तो . यही .. मालूम होता है कि राजा हंसवर्षनके समयमें ये कवि हुये थे। और इंसाधनकी समामें :
प्रतिष्ठा प्राप्त की थी, उक्त राजाका समय (६१०) ८६०९०) है । इसे सिद्ध होता है कि : - इसी समयके मरीब करीब हुये होंगे । इन व विकी प्रशंसा गणमान्य मनुष्य बहुत करते हैं
और चाहिये भी, लेकिन यह प्रशंसा तस्तक ही ठीक होती है, जबतक इनसे अच्छा काव्य: कमल विकसित न हो, नहीं तो "निरस्तपादपे देशे एरण्डोऽपि द्रुमायतेग अर्थात्-वृक्षरहित : प्रदेश में अंडीका वृक्ष भी वृक्ष माना जाता है । जैसे बाणकवि, अपने " कादम्बरी " नामक..
गद्य काव्यमें प्रथम ही राना शूदकका वर्णन करते हैं कि- ... ... .. ...: आसीदशेषनस्पतिशिरः समभ्यर्चितशासनः पाकशासन इवा.
परंः, “चतुरुदधिमेखलाया. भुवो. अर्ता, प्रतापानुरागावनतसमस्त... सामन्तचक्र, चक्रवर्तिलक्षणोपेतः, चक्रधर इव करकमलोपलक्ष्यमा णशङ्खलाच्छना, हर इव जिनमन्मथा, गुह इवाप्रतिहतशक्तिः, कमल.... योनिरिव विमानीकृतराजहंसमण्डल, जलधिरिव, लक्ष्मी प्रसूति, इत्यायेतादृशः शूद्रको नाम राजा। . . . ...
. ... अर्थात्-समस्तरामाओंपर शासन करनेवाला दुसरा इन्द्र ही हो, चार समुद्र मर्यादावादी पृथ्वीका स्वामी, प्रतापानुरागसे रानमण्डको अवनत कर दिया है, चक्रवर्ती क्षणोंसे युक्त, . श्रीकृष्ण की तरह हस्तकमलमें शंख, चक्रको धारण करनेवाला अर्थात् हस्तमें शंख चक्र दि. ., प्रशस्त चिन्हों से युक्त था, श्रीकृष्ण मी साक्षात २ शंख पसे युक्त ही है, और महादेव..:. की तरह कामदेवको जीतनेवाला, अर्थात् कामदेवने मत्म कर दिया तदनुसार हमने मी उसे : भस्म कर दिया, लेकिन यह बात असम्भव माम होती है, क्योंकि अंगांड़ी. चहके. इस :

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