Book Title: Satik Gacchachar Prakirnak Sutram
Author(s): Purvacharya, Danvijya Gani
Publisher: Dayavijay Granthmala
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गच्छा
॥१०९॥
रायगिहे नगरे ममं अतेवासी महासयए समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिममारणंतियसलेहणाए झूसियसरीरे भत्तपाणपडियाइक्खिए काल अणवकखमाणे विहरइ । तए ण तस्स महासयगस्स रेवई गाहावइणी मत्ता जाब विकोमाणी २ जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए तेणेव उवागच्छइ २ ता मोहुम्माय जाव एवं वयासी-तहेव जाव दोचंपि तच्चपि एवं वयासी। तए णं से महासयगे समणोवासए रेवईए गाहावइणीए दोचपि तचंपि एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते ४ ओहिं पउंजइ २ त्ता ओहिणा आभोएइ २ त्ता रेवई गाहावइणि एवं वयासी-जाव उववजिहिसि, णो खलु कप्पइ गोयमा ! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव झूसियसरीरस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स परो संतेहि तच्चेहि तहिएहिं सब्भूएहिं अणिटेहिं अकंतेहिं अपिएहिं अमणुण्णेहिं अमणामेहिं वागरणेहिं वागरित्तए, तं गच्छ णं देवाणुप्पिया तुपं महापययं समणोवासयं एवं वयाहि नो खलु देवाणुप्पिया ! कप्पइ समणोवासगस्स अपच्छिम जाव भत्तपाणपडियाइक्खियस्स परो संतेहिं जाव वागरित्ताए तुमे | य ण देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणि संतेहि ४ अणिटेहिं ५ वागरणेहिं वागरिया तेणं तुम एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव जहारिहं च पायच्छित्तं पडिवजाहि । तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमé विणएणं पडिसुणेइ २ ता तओ पडिनिक्खमइ २ ता रायगिह नगरं मज्झं मझेणं अणुप्पविसइ २ त्ता जेणेव महासयगस्स सपणोवासगस्स गिहे जेणेव पोसहसालाए महासयगे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ । तए णं से महासयए समणे भगवं गोयम एज्जमाणं पासइ २त्ता हट्टतुट्ट जाव हियए भगवं गोयमं वंदइ नमसइ । तए णं से भगव गोयमे महासययं समणोवासयं एवं वयासो-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया! समगोवासगस्स अप
॥१०॥

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