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नि का पान
अ. 1
योगके अनुवादकरि काय वचन मन योगिनिकै मिथ्यादृष्टि आदि असंयतसम्यग्दृष्टि संयतासंयत प्रमत्त अप्रमत्तसंयत ४ सयोगकेवलीनिकै नानाजीवकी अपेक्षा एकजीवकी अपेक्षा अंतर नाही है। सासादनसम्यग्दृष्टि सम्यग्मिथ्यादृष्टिनिका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् अंतर है । एकजीवकी अपेक्षा अंतर नाहीं है । च्यारि उपशमश्रेणीवालोनिका नाना
जीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् अंतर है। एकजीवकी अपेक्षा अंतर नाहीं है । च्यारि क्षपकश्रेणीवालेनिका अर अयोगकेवलीनिका सर्वार्थ
गुणस्थानवत् अंतर है । एकजीवकी अपेक्षा अंतर नाही है ॥ टी का वेदके अनुवादकार स्त्रीवेदवि मिथ्याइष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है। एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ
अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट पंचावन पल्य कछु घाटि है । सासादनसम्यग्दृष्टि अर सम्यग्मिथ्याष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ पल्यका असंख्यातवा भाग अर अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट पृथक्त्व | सौपल्य है । असंयतसम्यग्दृष्टि आदि अप्रमत्तपर्यतनिका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है। एकजीवकी अपेक्षा जघन्य
है । उत्कृष्ट पृथक्त्व सौंपल्य है । दोय उपशमश्रेणीवालेनिका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट पृथक्त्व सौपल्य है। दोय क्षपकश्रेणीवालेनिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य एकसमय उत्कृष्ट पृथक्त्व वर्ष हैं एकजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है । पुरुषवेदवि मिथ्यादृष्टिका गुणस्थानवत् है । सासादनसम्यग्दृष्टि अर सम्यग्मिथ्याद्दष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ पल्योपमकै असंख्यातवा भाग अर अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट पृथक्त्व सौ सागर है । असंयतसम्यग्दृष्टि आदि अप्रमत्तसंयतपर्यंतनिका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है। एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट पृथक्त्व सौ सागर है । दोय उपशमश्रेणीवालेनिका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट पृथक्त्व सौ सागर है। दोय क्षपकश्रेणीवालेनिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य एकसमय है । उत्कृष्ट एकवर्ष कछु अधिक है । एकजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है । नपुंसकवेदविर्षे मिथ्यादृष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट तेतीस सागर देशोन है । सासादनसम्यग्दृष्टि आदि अनिवृत्तिउपशमपर्यतनिका गुणस्थानवत् अंतर है । अर दोय क्षपकश्रेणीवालेनिका स्त्रीवेदवत् है । वेदरहित अनिवृत्ति बादरसांपराय उपशमक सूक्ष्मसापराय उपशमकका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है । एकजीवकी अपेक्षा जघन्य अरु उत्कृष्ट
अंतर्मुहूर्त है । उपशांतकपायका नानाजीवकी अपेक्षा गुणस्थानवत् है । एकजीवकी अपेक्षा अंतर नांही है। अवशेष ६ गुणस्थानवत् अंतर है ॥