Book Title: Saptopadhanvidhi
Author(s): Mangalsagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 33
________________ घान०/ कादिकं सर्वमप्युपभुज्यमानं प्रतिलिखति, उपवासदिने तु न । इति नित्यतृतीयमहर-उपधानक्रियाविधिः।] : उपधानसूत्रोपत्रासा दिज्ञापक कोष्टकम् नम्बर उपधानके नाम सूत्रके नाम दिन संख्या । (पोष.) वाचना संख्या उपचास.. SAR |१२॥ बिसड़ |पंचमंगळ महाश्रुतस्कंध | नवकार मंत्र । हरियावही इरियावहिया श्रुतस्कंध । तस्स उत्तरी भावारिईतस्तव नमुत्थु णं १२॥ २० | सम्ने तिविण प्रथम वाचना- द्वितीय वाचना- तृवीय वाचना संज्ञा । प्रमाण | प्रमाण प्रमाण नमो लोए | पवम इबद मंगलं . सव्यसाहूर्ण । जे मे जीवा । वामि काउस्साग .. विसड़ विराहिया | पुरिसवर- । चरंत चवहीण ॥ पांत्रीसड़ बंदामि गंधहत्वीण ॥ अपाणं बोसिरामि सिद्धा सिद्धि मम ३ चउवीसं पि केवली ६ पासंतह बद्धमाणंच ६॥ अट्ठावीसड़ दिसंतु । | ३॥ सुअस्स भगवओ। .. (अत्र उपवासः एकः स च तपोमाल नारि वा . चतुर्विधाहारः) वणारिहंतस्तब मरिईतचेझ्याण २॥ ४ ।। चिड़कड़ नामारिइंतस्तव लोगस्स २८ ३ दम्बारिहंतस्तव ! पुक्खरवरदीवडे | ३॥ ६ ॥ सिद्धस्तवश्रुतस्कंध सिद्धार्ण बुद्धार्ण । तारेह नरं व .।

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