Book Title: Saptopadhanvidhi
Author(s): Mangalsagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 62
________________ सप्तोपान ॥२९॥ मा उपधान(तिसरी वार उ०व० करनेवालों को) लोंकी दैश्री नामारिहंतस्तवाध्ययन आराधनाथै काउस्सग्ग करूं? इस प्रकार योलना ।। इति काउस्सग्गविधिः ।। निकक्रिया ॥नवकारवाली फेरनी की विधि ॥ (१) प्रथम उपधान ५० दिन बालों को पूरे "नवकार" की २० नवकारीवाली फेरनी । (२) दुसरा उपचान ३५ दिन बालों को "नमोत्यु णं" की ३ नवकरबाली फेरनी ।। (३) तीसरा उपधान २८ दिन वालों को "लोगस्स" की ३ नवकारवाली फेरेनी ।। इति ।। [यदि नवकारवाली न गिनी जा सके तो उनके स्थानपर "जीबविचार" "नवतत्त्व" और कर्मग्रन्थादि की दो हजार गाथा का स्वाध्याय-पाठ भी किया जा सकता है। प्रकरणादि की गाथाओंका पाठ करने के पूर्व इरियावही करनी ] ।। इति ।। अथ उपधानवालों की दैनिक क्रिया। १. दोनों समय सायं-प्रातः प्रतिक्रमण करना । ३. दोनों दफे बस्त्रों की पहिलेहणा करनी । ३. एक दफे दोपहर को जिनमंदिर में आठ स्तुतिपूर्वक देव वंदन करना। ४. तीनों काल मंदिर में दर्शन करना। ५. (१००) सौ लोगस्सका काउस्समा करना और टि. १ नवकारवाली गिननेवालों को चाहिये कि, एक स्थानपर कमसे कम पांच नवकारवाली गिनने के बादही उस स्थानसे उठे । २ "पंचमंगलमहाभुतस्कंधाय नमोनमः" ऐसा कह कर खमासमण का पूर्ण पार उछारण कर खमासमण देना, खमासमण ठीकसे झुक कर देना चाहिये, यदि शक्ति न हो। | तो बेटे बेटे ख० देना । इसमें भी उपधान बदलने पर नाम बदलना। '58

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