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खोपयान
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परिशिष्टम् ।
॥ काउस्सग्ग करने की विधि ॥
( १ )
( प्रथम वार उपधान वहन करनेवालों को )
प्रथम खमासमण देकर इरियाबही करे, बाद में इच्छाकारेण संदिसह भगवन् प्रथम उपधान पंच मंगल महासुयक्खंधआराधनार्थं काउस्सग्ग करूँ" ? 'इच्छे' | करेमि काउस्सगं चंद्णवत्तियाए अन्नत्थ० कह १०० लोग्गरस का काउस्सग्ग करे, (लोग्गस्स चंदे सुनिम्मलयरा तक गुणना ) काउस्सग पूरा होने से " नमो अरिहंताणं" ऐसा कह कर पारे, बाद में प्रकट रूपसे लोगस्स बोलना || इति ॥
(२)
( दूसरी बार उपधान वहन करनेवालों को ) श्री भावारिहंतस्तवाध्ययन आराधनार्थं काउस्सग्ग करूं ? इस प्रकार बोलना ।
टि. १ एक उपधान बदल जाय तब जो उपधान हो इसका नाम लेना । यदेि प्रातःकाल उठते ही प्रतिक्रमण के पूर्व काउस्समा करना हो तो “कुसुमिण दुसुमिण" का काउस्सग्ग प्रथम कर लेना | बादमें काउस्सा करना ।
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काउस्सम्म
करनेकी
विधि