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सप्तोपधान निम्नोक्त कारणों से सामान्य आलोयण आती है ।
बालोयणा
आनेके (अन्य क्या क्या कारणों से आस्टोयण आती है, वह नीचे बतलाया जाता है) ॥३०॥
शिलेदन किये निता यन्त्र और पात्र को उपयोग में लें तो। २ मुट्पनी और चरबले के बीच में से कोई चला जाय तो। (आउ | पढ जाय तो) ३ भोजनसे उठनेके बाद मुह में से अन्न निकले तो। ४ कपडे या शरीर पर से जू निकलने पर। ५ नवकारयाली 181 गिनते समय गिर जानेपर और गुमा दे तो। ६ स्थापनाचार्य जी हाथ में से गिर जाय तो। ७ पुरुष के स्त्री का और बी को पुरुप कार संघट्टा (गलती से स्पर्श हो जाय तो) हो तो। ८ कड़े में से जीवका कलेबर और सचित्त वीज निकले तो। ९ पडिलेहन करते अथवा खाते पीते समय बोले तो। १० नयकारवाली गिनते समय वात चीत करें तो। ११ झूठे मुंह बोलें तो। १२ तिथंच का संघट्टा स्पर्श होने । पर। १३ एकेंन्द्री ( सचित) का संघट्टा हुआ हो तो। १४ दिवस को शयन करने पर । १५ रात को संथारापोरसी पड़ने के पहिले निद्रा लें तो। १६ दीपक या विजली आदि का प्रकाश पडा हो तो। १७ काल के समय मस्तक पर कम्बल विनारक्खे खुले स्थानपर चलने पर। १८ बरसात के छींटे लगे तो। १९ वाडे में (स्थंडिल) ही जाय तो। २० प्रतिक्रमग न करें तो। २१ खुले मुटु बोलें तो। २२ बैठे
॥३०॥ हुए खमासणा दिया हो तो। २३ दूसरों को कटु बचन कहें और आंसु गिराए और आपसमें झगडा करने पर आलोयग आती है। । [इन कारणों के अतिरिक्त और भी कारण से आलोयग आती है जो प्रसंगानुसार गुरु महाराज से जान लेना, तासर्य उपधान WI(धार्मिक) क्रिया करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिये ।] ॥इति ।।
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