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I उपधान
संबंधी विशेष ज्ञातव्य
धान
उचारे पासवणे अहियासे । २० अणागाढे मज्झे उच्चारे पासवणे अहियासे । २१ अणागाढे दूरे उच्चारे पासवणे अहियासे । २२ अणागा
उच्चारे पा ४ा आसन्ने पासवणे अहियासे । २३ अगागाढे मझे पासधणे अहियासे । २४ अणागाढे दूरे पासवणे अहियासे । इन चौवीस थंडिला में से
६ थंडिला शय्या के दो तरफ दक्षिण ओर ३ और बायी ओर ३ पडिलेहे। ६थंडिला दरबाजे के भीतर दक्षिण ३ और वायी ३ पहिलेहे। 11 थंडिला के बाहर दोनों तरफ पडिलेहे और ६ थंडिला उच्चार प्रस्रवण की जगह हो वहां दोनों तरफ पहिलेहे ॥ इति ।।
उपधानसम्बन्धी विशेष ज्ञातव्य ।। उपधान तप करनेवाले महानुभावों को निम्नलिखित बातें ध्यान रखने योग्य हैं।
(१) जिन-जिन सूत्रों के लिये उपधान तप बहुन करने में आता है, उनका "उद्देश" उन-उन सूत्रों के उपधानों में प्रवेश करते | समय, करने में आता है, और समस्त सूत्रों का "समुद्देश" च "अनुज्ञा" माला परिधान करते समय कराने में आता है, वे सूत्रार्थ ग्रहण
करने की योग्यता उनका वैशिष्टय और उनके पठन-पाठन करने की आज्ञा समझना । ४ (२) देवबन्दन के सूत्र, जिन के उपधान पहन करने में आते हैं, उनसे अतिरिक्त अन्य सामायकादि आवश्यक सूत्रों के लिये, M उपधान वहन करने की आज्ञा नहीं है। तदुपरान्त "चउसरण" आदि “पयन्ना" और दशबैकालिकसूत्र के चार अध्ययन श्रावकश्राविकाओं को पढ़ने की स्वतंत्रता है। तीन आयंबिल कर बाचना ग्रहण करने का विधान है। उसे गुलाम से जान लेना।
(३) उपधान या अन्य किसी दिन जब कभी भी पौषध लेना हो तो, प्रथम प्रहर में ही लिया जाता है।