Book Title: Saptopadhanvidhi
Author(s): Mangalsagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 56
________________ पिधान०४ २६ ।। आत्म्यम् नागपरिआवलिआणं निरया पलियाणं कप्पियाणं कप्पडिसगाणं पुफियाणं पुप्फचूलियाणं वपिहओणं। आसीविसभावणाणं दिट्टिविसभावणाणं चारणसमणभावणाणं महामुमिणभावणाणं तेअग्गिनिसग्गाणं मालामाहाउद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ ?, सब्वेसि पि एपसिं उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ । जइ अंगपविट्टस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ, किं आयारस्स सुयगडस्स ठाणस्स समवायरस विवाहपन्नत्तीए नायाधम्मकहाणं नायाधम्मकहाणं उवासमदसाणं अंगमरमसाणं मालववाइअदसाणं पण्हावागरणाणं विवागसुअस्स दिद्विवायस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ ? सब्वेसि वि एएसि उद्देसो समुहेसो अणुन्ना अणुओगो पवत्तइ । इमं पुण पट्टवणं पडुच्च-इमस्स सावय-सावियासंघस्स आवस्सगंगभूअस्सं पंचमंगलमहासूअक्वंधस्स, भावारिहंतत्थय सुअवंधस्स, नामारिहंतत्थय सुअवंधस्स, उद्देसनंदी अणुण्णानंदी वा पवत्तइ ।। [तत्समानौ बिबारमपि वासनिक्षेपं करोति गुरुः इति] ॥ उपधानविधिः॥ (उपधान-मालामाहात्म्यम् ) 'भोभोसुलद्धनियजम्म! निचिय अइगुरुअ-पुण्णपब्भार।नारय-तिरिय गईओ तुज्झअवस्सं निरुद्धाओ॥१॥ टिप्प- अथवा--"पंचमंगलमहासुयक्वंध-पदिकमणसुयक्षंध-भावारिहंतत्थय-ठवणारिइंतत्थय-चउषीसत्यय-नाणस्थय-सिद्धत्ययज्मयणस, मणुजादी पवत्तद" इति पठितन्यम् ॥ 52

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