Book Title: Saptopadhanvidhi
Author(s): Mangalsagar
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 36
________________ बसोपघान (१) वाचनापाठ उपधान "नमो अरिहंताणं । नमो सिद्धाणं । नमो आयरियाणं श नमो उँवज्झायाणं ४ नमो लोए सेव्वसाहूणं वाचनापाठी पाप, संपदाएँ-५, गुरु अक्षर-३, लघु अक्षर-३२, कुल अक्षर-३५॥ अर्थसमेता अर्थ-अरिहंत भगवनोंको नमस्कार (प्रणाम ) हो १, सिद्ध भगवन्तोंको नमस्कार हो २, आचार्य महाराजाओंको नमस्कार हो ३, 12 | उपाध्याय महाराजाओंको नमस्कार हो ४, लोकमें (ढाई द्वीप में) रहे हुए समस्त साधुओंको नमस्कार हो । दूसरी वाचना साडेसात उपवासोंसे । (२) वाचनापाठ"एसो पंचनमुकारो ६। सब्र्वपावप्पणासणो ७ मंगलाणं च सव्वेसिं, पढम हवह मंगलं " पद-४, संपदाएँ ३, गुरु ४, लघु २९, कुल अक्षर ३३ । अर्य-यह पंचनमस्कार याने पांचों परमेष्ठियोंको किया गया नमस्कार संपूर्ण पापोंको नाश करनेवाला है और सब मङ्गलों में प्रथम मङ्गल है। द्वितीय उपधान इरियाचहिया श्रुतस्कन्ध (इरियायही तस्स उत्तरी), दिन २०, कुल तप १२॥ उपवास, वाचना दो। प्रथम वाचना पांच उपवासोंसे। कितनेक भाचार्य महाराज-छठा सातवा, इन दो पदोंकी एक संपदा, और पाठदों पदकी एक, तया नवा पदकी एक, इस प्रकार तीन संपदाएं मानते हैं। 32

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