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इसी प्रकार 'अस्थि, सक्थि' आदि शब्दों के रूप होते हैं। अस्थि अस्थिनी
अस्थीनि अस्थमा अस्थिभ्याम्
अस्थिभिः अस्थने अस्थिभ्याम्
अस्थिभ्यः अस्थ्नः
अस्थनाम् अस्थिनि, अस्थनि "
अस्थिषु सकारान्त नपुंसकलिंग 'आयुस्' शब्द
आयुः आयुषी आयूंषि सम्बोधन
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अस्थनोः
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आयुषा आयुाम्
आयुर्भिः आयुषे
आयुर्व्यः आयुषः आयुषोः
आयुषाम् आयुषि
आयुष्षु इसी प्रकार ‘अर्चिस्' शब्द के रूप बनते हैं। पाठक इनके साथ पुल्लिंग शब्दों के रूपों की तुलना करें, और विशेष बातों का ध्यान रखें।
शब्द-क्रियाएं क्रीत्वा = ख़रीदकर । उपदेक्ष्यामि = उपदेश करूंगी (गा)। निष्पाय = तैयार करके। प्राभातिकं = सवेरे सम्बन्धी। अवज्ञातुम् = धिक्कार करने के लिए। अर्हसि = (तू) योग्य है। प्रयतिष्ये = प्रयत्न करूंगा। श्रामयामि = कष्ट दूंगी (गा)। विलोक्यताम् = देखिए। निर्विश्यताम् = घुस जाइए। निषेधति = प्रतिबन्ध करता है। अर्जयति = कमाता है। विलोक्य = देखकर। प्रतिपद्यते = मानती है। उत्सहे = मुझे उत्साह होता है। हीयते = न्यून होता है। निर्मातुम् = उत्पन्न करने के लिए। प्रभवेत् = समर्थ हो। विभज्य = बांटकर। अंगीकृत्य = स्वीकार करके । विस्मापयन्ति = आश्चर्य युक्त करते हैं।
शब्द-पुल्लिंग शिल्पी = कारीगर । श्रमः = कष्ट, मेहनत । पाणिः = हाथ । विभागः = हिस्सा, ... बांट। पादः = पांव। सर्वात्मना = तन-मन से। विपश्चित् = विद्वान।