Book Title: Sanskrit Swayam Shikshak
Author(s): Shripad Damodar Satvalekar
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 329
________________ संभवते, संभविष्यति । समभवत ( सं भव) अनुभव करना - अनुभवति । अनुभविष्यति । * अन्वभवत्, अन्वभवताम्, अन्वभवन् । (अनुभव) 6. वि (भू) = विशेष उन्नत होना - विभवति । विभविष्यति व्यभवत् । (वि- भव) 7. आ (भू) = पास रहना, साहाय्य करना - आभवति । आभविष्यति । आभवत् । 8. अभि (भू) विजयी होना - अभिभवति । अभिभविष्यति । अभ्यभवत् । 9. अति (भू) = सबसे श्रेष्ठ होना - अतिभवति । अतिभविष्यति । अत्यभवत् । 10. उद् (भू) = उत्पन्न होना, उदय होना - उद्भवति । उद्भविष्यति । उद्भवत् । (उद्भव) 180* 5. अनु (भू) 11. प्रति (भू) = समान होना - प्रतिभवति । प्रतिभविष्यति । प्रत्यभवत् । 12. परि (भू) = घेरना, चारों ओर घूमना, साथ रहकर सहाय करना - परिभवति । परिभविष्यति । पर्यभवत् । (उभयपद) परिभवते । परिभविष्यते । पर्यभवत । = 13. उप (भू) = पास होना- उपभवति । उपभविष्यति । उपाभवत् । | इस प्रकार एक ही धातु के बाद उपसर्ग लगने से उनके भिन्न-भिन्न अर्थ होते हैं। ये उपसर्ग बाईस हैं 1. प्र-अधिकता, प्रकर्ष, गमन । 2. परा - उत्कर्ष । अपकर्ष, (नीचे होना) । 3. अप - अपकर्ष, वर्जन, निर्देश, विकार, हरण । 4. सम् - ऐक्य, सुधार, साथ, उत्तमता । 5. अनु-तुल्यता, पश्चात्, क्रम, लक्षण । 6. अव - प्रतिबन्ध, निन्दा, स्वच्छता । 7. निस् 8. निर्- निषेध, निश्चय । 9. दुस् 10. 11. वि श्रेष्ठ, अद्भुत, अतीत । 12. आ - निन्दा, बन्धन, स्वभाव । 13. नि-नीचे, बाहर । 14. अधि - ऐश्वर्य, आधार । 15. अपि - शंका, निन्दा, प्रश्न, आज्ञा, संभावना । अनु + अभवत् = अन्वभवत् ।

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