Book Title: Sanskrit Swayam Shikshak
Author(s): Shripad Damodar Satvalekar
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 351
________________ 202 'दा' धातु का द्वित्व होकर 'दादा' बनता है, और प्रत्यय लगने के समय पहले अक्षर का दीर्घस्वर हस्व होकर 'ददा + ति ' ददाति' ऐसा रूप बनता है। द्विवचन और बहुवचन के प्रत्यय लगने से पूर्व अन्त्य आकार का लोप होता है । जैसा - दा; दादा, ददा+मः = दद्+मः=दद्मः । परस्मैपद । भूतकाल अदत्ताम् अदत्तम् अददाम् अदव अदद्म इसके भविष्यकाल के रूप सुगम हैं। दास्यति । दास्यते । इसके आत्मनेपद के रूप निम्न प्रकार होते हैं अददात् अददाः दत्ते दत्से द आत्मनेपद । वर्तमान काल ददा दाथे अददुः अदत्त ददते दवे दहे दहे आत्मनेपद । भूतकाल अदत्त अददाताम् अदत्थाः अददाथाम् अदि अदद्वहि धा ( धारणपोषणयोः) = धारण और पोषण करना परस्मैपद अददत अदध्वम् अहि वर्तमान- दधाति, धत्तः, दधति । दधासि धत्यः, धत्य । दधामि, दध्वः दध्मः । भविष्य - धास्यति । धास्यसि । धास्यामि । भूत - अदधात्, अधत्ताम्, अदधुः । अदधाः, अधत्तम्, अधत्त । अदधाम्, अदध्व, अदध्म । आत्मनेपद वर्तमान- धत्ते, दधाते, दधते । दत्से, दधाथे, दध्वे । दधे, दध्वहे, दध्महे । भविष्य-धास्यते । धास्यसे । धास्ये । भूत-अधत्त, अदधाताम्, अदधत। अधत्थाः, अदधाथाम, अधदध्वम् । अदधि, अदध्वहि, अदध्महि ।

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