Book Title: Sanskrit Swayam Shikshak
Author(s): Shripad Damodar Satvalekar
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 334
________________ दशम गण। उभयपद धातु 1. छिद्र (भेदने)=सुराख करना-छिद्रयति। छिद्रयते। छिद्रयिष्यति, छिद्रयिष्यते। अच्छिद्रयत्, अच्छिद्रयत। 2. छेद् (द्वैधीकरणे) = काटना -छेदयति, छेदयते। छेदयिष्यति, छेदयिष्यते। अच्छेदयत्, अच्छेदयत। 3. जृ (जार) वयोहानौ = वृद्ध होना-जारयति, जारयते । जारयिष्यति, जारयिष्यते, अच्छ __आदि। 4. ज्ञप् (ज्ञाने ज्ञापने च) = जानना और जताना -ज्ञपयति । ज्ञपयते ज्ञपयिष्यति, ज्ञपयिष्यते आदि। 5. तप् (संतापे) = तपाना-तापयति, तापयते। तापयिष्यति, तापयिष्यते। ___ अतापयत्, अतापयत। 6. तर्क् (वित) = तर्क करना-तर्कयति, तर्कयते। तर्कयिष्यति, तर्कयिष्यते। ___ अतर्कयत, अतर्कयत। 7. तिज् (निशाने) = तेज करना -तेजयति, तेजयते। तेजयिष्यति, तेजयिष्यते। अतेजयत्, अतेजयत। 8. तिल (तेल्) (स्नेहे) = तेल निकालना-तेलयति, तेलयते। तेलयिष्यति, तेलयिष्यते। अतेलयत्, अतेलयत। 9. तीर् (पारङ्गतौ, कर्मसमाप्तौ च) = पार जाना और कर्म समाप्त करना-तीरयति, तीरयते। तीरयिष्यति, तीरयिष्यते। अतीरयत्, अतीरयत। कई धातु दशम और प्रथम गणों में हैं, इसलिए उनको पूर्व पाठों में प्रथम गण में देकर यहां दशम गण में भी दिया है। आशा है कि पाठक इन धातुओं के रूप बनाकर वाक्य बनायेंगे। इनके रूप बड़े सरल हैं। पाठ 50 1. तुल् (तोल्) (उन्माने) = तोलना-तोलयति, तोलयते। तोलयिष्यति, तोलयिष्यते। अतोलयत्, अतोलयत। 2. दण्ड् (दण्डनिपातने दमने च) = दण्ड देना, दमन करना-दण्डयति, दण्डयते। दण्डयिष्यति, दण्डयिष्यते। अदण्डयत्, अदण्डयत। 3. दुःख् (दुःखक्रियायाम्) = कष्ट देना-दुःखयति, दुःखयते। दुःखयिष्यति, 185

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