Book Title: Sanskrit Swayam Shikshak
Author(s): Shripad Damodar Satvalekar
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 345
________________ रुदिथः भूतकाल अमार्ट, (अमाङ्) अमृष्टाम् अमृजन्, (अमार्जन) अमार्ट (अमाङ्) अमृष्टम् अमृष्ट अमार्जम् अमृज्व अमृज्म इस धातु का भविष्यकाल सुगम है। मार्जिष्यति, मार्जिष्यतः, मार्जिष्यन्ति इत्यादि। रुद् (अश्रुविमोचने) वर्तमान काल रोदिति रुदितः रुदन्ति रोदिषि रुदिथ रोदिमि रुदिवः रुदिमः भूतकाल अरोदत्, अरोदीत् अरुदिताम् अरुदन् अरोदः, अरोदीः अरुदितम् अरुदित अरोदम् अरुदिव अरुदिम भविष्यकाल के रूप-रोदिष्यति, रोदिष्यतः, रोदिष्यन्ति। आशा है कि पाठक इन रूपों को ध्यान में रखेंगे। इनका बारम्बार वाक्यों में उपयोग करने से इनका स्मरण रह सकता है। वाक्य 1. रामो रावणं हनिष्यति। राम रावण को मारेगा। 2. भृत्यः पात्रान् मार्टि। नौकर बर्तनों को साफ करता है। 3. त्वं किमर्थं रोदिषि। तू क्यों रोता है ? 4. आसीद् राजा रामचन्द्रो नाम। रामचन्द्र नाम का राजा था। 5. एतन्न विद्यः। हम सब इसको नहीं जानते। 6. ह्यः त्वं न अरोदः किम्। . क्या तू कल नहीं रोया ? 7. सर्वे वयम् अन्नम् अमः। हम सब अन्न खाते हैं।

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