Book Title: Sanskrit Swayam Shikshak
Author(s): Shripad Damodar Satvalekar
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 326
________________ अत्वेषत्, अत्वेषत। 9. दाश् (दाने) = देना-दाशति, दाशते। दाशिष्यति, दाशिष्यते। अदाशत्, अदाशत। 10. धाव् (गतिशुद्धयोः) = दौड़ना, धोना-धावति, धावते। धाविष्यति, धाविष्यते। ___ अधावत्, अधावत। 11. धृ (धर) (धारणे) = धारण करना-धरति, धरते। धरिष्यति, धरिष्यते। अधरत, अधरत। 12. पच् (पाके) = पकाना-पचति, पचते। पक्ष्यति, पक्ष्यते। अपचत्, अपचत। 13. बुध् (बोधू) (बोधने) = जानना-बोधति, बोधते। बोधिष्यति, बोधिष्यते। ___ अबोधत्, अबोधत। 14. भू (भव्) (प्राप्तौ) = मिलना-भवति, भवते। भविष्यति, भविष्यते। अभवत्, अभवत। (भू-सत्तायां-होना इस अर्थ का धातु केवल परस्मैपद में है। प्राप्ति अर्थ का 'भू' धातु उभयपद है।) 15. भृ (भर्) (भरणे) = भरना-भरति, भरते। भरिष्यति, भरिष्यते। अभरत्, ___ अभरत। 16. मिथ् (मेधायाम्) = बुद्धिवर्धक कार्य करना-मेधति, मेधते। मेधिष्यति, मेधिष्यते। अमेधत्, अमेधत।। 17. मृष् (मष्)-(तितिक्षायाम्) = सहना-मर्षति, मर्षते। मर्षिष्यति, मर्षिष्यते। अमर्षत्, अमर्षत। 18. मेथ् (मेधायाम्) = जानना-मेथति, मेथते। मेथिष्यति, मेथिष्यते। अमेथत्, __ अमेथत। (मिद्, मिध्, मेद्, मेध्, मिथ्, मेथ् इन धातुओं का 'मेधायां' अर्थ है और इनके रूप उक्त मिध्, मेध् धातुओं के समान ही होते हैं। मेदति, मेधति, मेथति, इत्यादि।) 19. यज् (देवपूजा-संगतिकरण-यजन-दानेषु) = सत्कार, संगति, हवन और दान करना-यजति, यजते। यक्ष्यति, यक्ष्यते। अयजत्, अयजत। 20. याच् (याञ्चायाम्) = मांगना-याचति, याचते। याचिष्यति, याचिष्यते। अयाचत्, अयाचत। 21. रज् (रागे) = कपड़ा आदि रंग देना-रजति, रजते। रक्ष्यति, रक्ष्यते। अरजत्, अरजत। 22. राज् (दीप्तौ) = प्रकाशना-राजति, राजते। राजिष्यति, राजिष्यते। अराजत्, अराजत।

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