Book Title: Samaj Vyavastha ke Sutra Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 4
________________ प्रस्तुति धर्म से समाज को शासित किया जा सकता है या नहीं इस प्रश्न का उत्तर हाँ या ना में नहीं दिया जा सकता। धर्म ऐच्छिक स्वीकृति है। उसका आधार है हृदय परिवर्तन। पूरे समाज का हृदय परिवर्तन एक साथ हो जाए - यह सोचना अति प्रसंग है। धर्म-शून्य कोरी दण्ड - शक्तिशाली शासन प्रणाली समाज को शासित कर सके - यह सोचना भी भ्रान्ति से शून्य नहीं है। समाज अपनी अवधारणा से शासित होता है । धर्म ने कुछ महत्त्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। वे समाज के शासन में आधारभूत बनती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में उन अवधारणाओं और विशेषतः भगवान् महावीर द्वारा प्रदत्त अवधारणाओं की संकेत- लिपि उपलब्ध है । प्रस्तुत पुस्तक की पाण्डुलिपि तैयार करने के श्रमसाध्य कार्य में तथा उसके सम्पादन में मुनिश्री दुलहराज ने उत्साहपूर्ण कार्य किया है। इसके लिए मैं उन्हें साधुवाद देता हूँ । २४ फरवरी, ८६ उदयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only युवाचार्य महाप्रज्ञ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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