Book Title: Saddharm Bodh Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Nanebai Lakhmichand Gaiakwad View full book textPage 7
________________ [] तैसे ही जो आकृति सम्बन्धी विचार करें तो बन्दर के शरीर की आकृति और मनुष्य के शरीर की आकृति यह भी बहुत मिलती हुई है, किंबहुना बन्दर के पूंछ अधिक होने से वह मनुष्य से भी अधिक अवयव का धारक हुआ तो क्या उसको महामनुष्य कहा जायगा ? नहीं, उसको कदापि कोई मनुष्य नहीं कह सकेगा. पशु से मनुष्य की विशेषता । फिर सर्व योनी से मनुष्य जन्मकी परमोत्कृष्टता और दुर्लभता बता कर जो प्रशंसा की इसमें हेतु कुछ होना ही चाहिये ? वह परमोत्कृष्ट कारण उक्त श्लोक में खुलासा बता दिया है कि " धर्मो विशेषः खलु मानुषाणां " अर्थात् मनुष्य के सिवाय अन्य पशु पक्षी आदिक प्राणियों के अंग में धर्म करने की शक्ति नहीं है, क्यों कि उनमें प्रायः वाचा शक्ति नहीं है, और ज्ञान भी नहीं है, इस कारण से वे धर्माधर्म पुण्य पाप के कृत्य में नहीं समज सकते हैं. औरPage Navigation
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