Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Prachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
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। इनमें से मिश्र-बन्धु-विनोद' देखने पर १, ख्वालेकवारी २ लखपत जस सधु और ३, चम्पूसमुद्र तीन ग्रन्थो का उल्लेख उसमें प्राप्त होता महा अवशेषरट३ ग्रन्थ उसमें अनिर्दिष्ट है।
(२) जैसा कि कविनामानुक्रमणिका से स्पष्ट है इसमें १०२ कवियों की १३८ रचनाओं का विवरण है। इनका परिचय कविपरिचय मे दिया गया है। इसमें से मिश्र-बन्धु-विनोद' में २० कवियों का उल्लेख है। कई अन्य कवियों के भी नाम वहाँ मिलते है पर वे विवरणोक्त ही है या समनाम वाले भिन्न कवि हैं, यह निश्चय करने का साधन नहीं है । मेनारियाजी के ग्रन्थ में जान एवं गणेशदास दो कवियों का उल्लेख आ चुका है। प्रायः ८० कवि इस ग्रन्थ द्वारा ही सर्व प्रथम प्रकाश में आ रहे हैं। ४८ रचनायें अज्ञातकर्तृक है जिनकी सूची परिशिष्ट में दे दी गयी है। .
(३) इस विवरणी में जिन-जिन पुस्तकालयो की प्रतियों का उपयोग किया गया है उनका भी उल्लेख कर देना यहाँ आवश्यक है। इनमें से सबसे अधिक विवरण (१) अभय जैन ग्रन्थालय ( जो कि हमारा निजी संग्रह है ) तत्पश्चात् अनूप संस्कृत लायब्रेरी (बीकानेर का राजकीय पुस्तकालय ) के हैं। इनके अतिरिक्त (३) बृहत् ज्ञान भंडार ( खरतरगच्छीय बड़ा उपासरे मे स्थित ) जिसके अंतर्गत महिमा भक्ति भंडार, दानसागर भंडार, वर्द्धमान भंडार, जिनहर्षसूरि भंडार आदि भी आजाते हैं (४) श्री जिन चारित्र सूरि ज्ञान भंडार (५) जयचन्द्रजी ज्ञान भंडार (६) आचार्य शाखा भंडार (७) पन्नीबाइ उपासरा का संग्रह (८) गोविन्द पुस्तकालय (९) लछीरामयति संग्रह (१०) राव गोपाल सिहजी वैद का संग्रह (११) कविराज सुखदानजी का संग्रह (१२) विनय सागरजीका संग्रह (हमारे यही है) (१३) नवल नाथजी बगीची । ये तो बीकानेर में ही हैं । बाहर के संग्रहालयो में (१४) श्रीचंद्रजी गधैया संग्रह, सरदार शहर (१५) सीताराम शर्मा राजगढ़ (१६) यतिवयं ऋद्धि करणजी का संग्रह, चुरु, ये बीकानेर रियासत में है। (१७) यति विष्णुदयालजी का संग्रह फतेपुर, जयपुर रियासत में है । (१८) जिनभद्र सूरि
___-मिश्र-बन्धु-विनोद मे सैकड़ों भूल-भ्रान्तिये हैं जिसका परिमार्जन प्रस्तुत ग्रन्थ के कवि-परिचय में किया गया है। मैंने अपने "मिश्र-बन्धु-विनोद की भही भूले" शीर्पक लेख में इस सम्बन्ध में विशेष रूप से प्रकाश डाला है जो कि नागरी प्रचारिणी पत्रिका में शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
२-नं० १ से ९ और १४ - १६ संग्रहालयों के, सम्बन्ध में मेरा "यीकानेर के जैन ज्ञानभंडार" शीर्षक निबंध देखना चाहिये जो कि 'घरदा' में प्रकाशित हो चुका है।