Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Prachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
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[ ४९ । २-अपूर्ण । महिमा भक्ति ज्ञान भंडार ब० नं० ८७ । विशेष प्रस्तुत ग्रन्थ के १० अध्यायो के नाम व पद्य संस्था इस प्रकार है१-रस शोधन कथन प्रथमोध्यायः
पद्य ३७ २-रस जारण मारणादि कथन द्वितीयोध्यायः
,, ६८ ३- उपरस शोधन मारण सत्व नियात माणिक्य सोधन मारण कथन तृतीयो
___ध्यायः पद्य १० ४–विष लक्षण, विष सेवा, विप परिहार, कथन चतुर्थोध्यायः पद्य ३२ ५-स्वर्णादि धातु शोधन मारण कथन पंचमोध्यायः ६--रसमारण कथन षष्टोध्यायः ७-वीर्य रोधनाधिकार सप्तमोध्यायः ८- ? नाम अप्राप्य ९-मिश्रकाध्यायः नवमः १०-छाया पुरख लक्षण कथन दशमोध्यायः (१६) वैदक मति । दोहा १०१ । कवि जान । सं० १६९५ आदिअथ वैदकमति पद नांवौ।
आदि भलह को नाम ले, दोम महमद नाम । वैदक मत की सीख ये, कहत जान अभिराम ॥ १ ॥ कहत जान कवि यौ लिख्यो, वैदक ग्रन्थन माहि ।
अनुरुचि है तौ तीजीय, अनरुचि लीजै नाहि ॥ २ । अंत
जौबत तथा क्रोध करि, काहू काटै आइ । फूल करर दोनुं सदल, ता ऊपरि घसलाइ ॥ १०० ॥ सौरहसै पंचानवै, ग्रन्थ कीयो यहु जान ।
वैदकमति यह नाम है, भाख्यौ बुद्धि प्रमान ॥ १०१ ।। इति पद नावां वैदकमति संपूर्ण।। लेखन-सं० १८०१ वर्षे वैशाख वदि ३ श्री मरोटे लि०६० भुवनविशाल मुनिना। प्रति-शिक्षासागर की प्रति के ५ वे पत्र के द्वितीय पृष्ट से इसका प्रारंभ हुआ है और ७ वे पत्र मे संपूर्ण हुआ है। अतः पत्र २ पंक्ति १६, अक्षर ५० साइज १०४४।