Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Prachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
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[ ५३ ] लेखनकाल–सं० १८१० फाल्गुण शुक्ला ६ सहजहानाबाद । रत्नकलशभ्रातृ हितधर्म लि.
प्रति-पत्र ९८ विशेष प्रस्तुत ग्रन्थ तीन खण्डों में विभक्त है, जिनकी क्रमशः पद्य संख्या ४५६+१२९२+७७७-२५२५ है।
(दान सागर भंडार बं० नं० २५) (१९) वैद्यहुलास (तिब्ब सहावी भाषा)। पद्य ३१५ । मलूकचंद । आदिअथ वैद्य हुलास-तिब सहावी भाषा लिख्यते ।
दोहरा निकृ (ख ? क्ष) त देव चित्त धरन धर, रिद्धि सिद्धि दातार । विमल बुद्धि देवे सदा, कुमति विनासन हार ।। १ ॥ दूजे सरस्वती ध्याइये, अरु सिमरो सारद माइ । सुगम चिकित्सा चित्त रची, गुरु चरणे चितु लाइ ॥ २ ॥ श्रवणे प्रथमे सुनि लई, तिब सहाबी आहि। पाछे भाषा ही रची, गुनजन सुनिभो ताहि ॥ ३ ॥
वैद्य हुलास जो नाम धरि, कीयो ग्रन्थ अमीकंद । श्रावक धर्म कुल पक्ष(जन्म) को, ना (म) मलूक सु (सौं) चंद ॥५॥
कुलांजण ककड़ासिंही, लोंग कुढ सु कचूर ।
भीडंगी जल वपत सो, महाकास हुइ दूर ॥४०४॥ इति श्री मलूकचंद विरचिते तिब्ब सहावी भाषा कृत नाम वैद्य हुलास समाप्तं १॥
लेखन-पं० प्र० श्री १०८ श्री चैनरूपजी पं० प्र० श्री १०५ श्री श्रीचंदजी to पनालालि लिखतं समाप्ता । संमत १८७१ मिती ज्येष्ठ वदि ४ अदितवार । श्री मोजगढ़ मध्ये।
प्रति-पत्र २६ । 'क्ति १३ । अक्षर ३० । साइज १०४४।
विशेष-इसकी एक अपूर्ण प्रति भी हमारे संग्रह मे है। एक अन्य पूर्ण प्रति कृपाचंद्रसूरि ज्ञान भंडार मे थी जिसमे इसके पद्य ५१८ थे।
(अभय जैन ग्रन्थालय)