Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Prachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
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[ ६८ j मत्तत्तार साह्यात्मज महमदसाहि विरचितायां संगीतमालिकायां नृत्त्याध्याय समाप्त। शुभं भवतु।
लेखन काल-१९ वीं। प्रति-पत्र ११ से ५३ । पंक्ति २० । अक्षर १६ । (मध्य के भी कई पत्र नहीं)
(अनूप संस्कृत लायब्रेरी) (११) हीय हुलास । सटीक । पद्य ६७ । आदिअथ राग रूपमाला लिख्यते ।
दोहाप्रथमहि ताको सुमिरियै, जिणे दीनो गुरु ग्यान । ज्ञानी गुन गावे सदा, ध्यानी धरे जु ध्यान ॥ १ ॥ अंवर थम्बी थंभ विन, धरती अधर धराय । मनुष्य रूप हुय अवतर्यो, देखत कलि को भाव ॥ २ ॥ हीये हुलास या अन्य को, राख्यो नाम विचार ।
यामें सिगरे रागन के, रचेय रूप सिंगार ॥ ३ ॥ अंत
महलारचीन गहे गावत बहुत, रोवत है जलधार । तन दुर्बल विरह दह्यो, विरहिन नाम मल्हार ।। ६६ ।। सेझ विछाई कमल दल, लेट रही मन मार ।
लेत उसास निसियरि तन, तनक वियोगिनी नार ॥ ६७ ॥ इति हियहुलास ग्रन्थ रुपमाला संपूर्ण ।
अथ रागमाला की टीका लिख्यते या को विचार याही में याकी मूर्छना याही में . तीन ग्राम सप्त स्वर याहि मे ग्राम १ ग्राम २ ग्राम ३ । दूहा
अन्तरागिनी पांचमी केदारा वखत घरी २ भारल्या २ भारज्या १ मारु वखत घटी २
इति रागमाला राग ६ रागिनी ३० भारज्या ४८ सय मिलि ८४ नाम संपूर्ण।। [ इसके बाद रागिनी-उत्पत्ति दिवस-रागिनी, रात्रि-रागिनी आदि के कई पद्य है।]
इति छतीस राग रागिनी नाम संपूर्ण । लेखन काल-१९ वी शती । प्रति-पत्र ४ । पंक्ति १७ । अक्षर ५२ । साईज १०॥४५। विशेष-टीका-टिप्पणी रूप ( संक्षिप्त स्पष्टीकरण मात्र ) है ।
(महिमा भक्ति भंडार)