Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Prachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur

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Page 177
________________ [ १४९ ] इनमे से वैद्यरत्न की प्रतियें मेरे अवलोकन में आयी हैं उसमें रचना काल सं० १७४९ माघ सुदि ६ स्पष्ट लिखा हुआ है। अतः मिश्रबन्धुविनोद में इनका कविता काल सं० १९०० के प्रथम बतलाया है वह और भी आगे बढ़कर सं० १७४९ के लगभग का निश्चित होता है। पता नहीं इनके नाम से जिन तीन अन्य ग्रन्थों का उल्लेख किया गया है उनमें रचनाकाल है या नहीं एवं कवि यही हैं या समनाम वाले अन्य कोई जनार्दन भट्ट हैं ?' जनार्दन गोस्वामी के संस्कृत ग्रन्थों एवं वंशावलि के सम्बन्ध में डॉ. सी. कुन्हनराजा अभिनंदन ग्रन्थ में पं० माधव कृष्ण शर्मा का 'शिवानन्द गोस्वामी' लेख देखना चाहिये। . (३३) जान (१८, २७, ३३, ४९, ५५,७१,७९, ८४, ९०, ९४, ९७) आप फतहपुर के नवाब अलिफखाँ के पुत्र न्यामतखाँ थे । कविता में इन्होंने अपना उपनाम जान ही लिखा है । सं० १६७१ से १७२१ तक पचास वर्ष आपकी साहित्य-साधना का समय है । इन वर्षों में आपने ७५ हिन्दी काव्य ग्रन्थों का निर्माण किया, जिसकी प्रतियाँ राजस्थान मे ही प्राप्त होने से अभी तक यह कवि हिन्दी साहित्य संसार से अज्ञात था । इनका ( इनके ४ ग्रन्थों का ) परिचय सर्व प्रथम हमारे सम्पादित राजस्थानी' और 'धूमकेतु' पत्र मे प्रकाशित हुआ था। श्रीयुत मोतीलालजी मेनारिया के खोज विवरण में आपकी रचित रसमंजरी का विवरण प्रकाशित हुआ है । प्रस्तुत ग्रन्थ मे आपके ११ ग्रन्थो का विवरण दिया गया है। इनके सम्बन्ध में हमारे निम्नोक्त चार लेख प्रकाशित हो चुके हैं अतः यहाँ अधिक न लिखकर पाठकों को उन लेखों को पढ़ने का सूचन किया जाता है। (१) कविवर जान और उनके ग्रन्थ (प्र० राजस्थान भारती व०१ अं०१) (२) कविवर जान और उनका कायम रासो (प्र० हिन्दुस्तानी व० १५ अं०२) (३) कविवर जान का सबसे बड़ा ग्रन्थ(बुद्धिसागर)(प्र०, व० १६ अं० १) (४) कविवर जान रचित अलिफखाँ की पेड़ी (प्र०, व० १६ अं० ४) (३४) जोगीदास (५०)-ये बीकानेर के साहित्य प्रेमी नरेश अनूपसिंहजी के सम्मानित श्वेताम्बर (जैन ) लेखक जोसीराय मथेन के पुत्र थे । महाराजा सुजान हिन्दी पुस्तक साहित्य के अनुसार यह मुहम्मदी प्रेस लखनऊ से छप भी चुका है। इस अन्ध के पृष्ठ ६३ मे सन् १८८२ लिखा है वह प्रकाशन का है। इसी प्रकार देवीदास की राजनीति को भी १९ वीं शताब्दी की मानी है पर वह १८ वीं की है।

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