Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Prachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
View full book text
________________
(ज) काव्य ग्रन्थ
(१) कथा (१) अंबड चरित्र । हिन्दी गद्य । क्षमाकल्याण । आदि
वर्द्धमान भगवन्त के पावन पद अरविंद । आतम चित्त अंतरधरी प्रणमी नवपद वृंद ॥ १ ॥ अबंड नामे अवनिपति चावो चौथे काल । - श्रावक धीर जिनेश को ताको चरित्र विशाल ॥ २ ॥ श्री मुनि रन सुरिन्द कृत संस्कृत मय संबंध । वर्तमान अवलोक के विरचं भाषा बन्ध ॥ ३ ॥
गद्यधर्म सै सर्व लक्ष्मी संपजै धर्म सै प्रशंसनीक रूप संपजै, धर्म से सोभाग अरु वडौ आउखौ जीव पावै बहुत क्या कहे धर्म से सब मनो वंछित मिलै जैसे अंबड क्षत्रिय के धर्म के प्रसादे सर्व संपदा मिली आपदा मिटी उस अंबड का दृष्टान्त दिखावै है। भन्त
बाचक अमृतधर्म वर सीस क्षमाकल्याण, पालीताना पुरवरै चरित रच्यो यह जान । सय अठारा चौपन समै सुदि आषाढ सुमास । तृतीय तिथि कुजवार युत सिद्ध योग सुप्रकास ॥ आर्या उत्तम धर्मरुचि पुत्री सम सुविनीत ।
नाम खुश्याल श्री निमित्त, यही कीनौ धरि चित्त ॥ ३ ॥ लेखन काल-१९ वौं शताब्दी। प्रति--पत्र ३७।
(महिमा भक्ति भंडार) (२) कथामोहिनी। पद्य १२२ । जान कवि । सं० १६९४ अगहन शुक्ला ४। आदि
आदि अगोचर अलख प्रभु निराकार करतार । देनहार ज्यौ सकल तन, रचनहार सँसार ॥ १ ॥